शाम का काला बदन
और शाम घटा से काला
शाम होते ही गजब कर गया
मोहन मुरली वाला
इतना बता दे काला
के तेरा रंग काला क्यूं
और काला होकर भी जग से
तु इतना निराला क्यूं
जरा इतना बता दे काला
के तेरा रंग काला क्यूं
मैने काली रात में जन्म लिया
मैंने काली रात में जनम लिया
मैंने काली गाएका दूध पिया
और रातों का रंग भी काला
गाएका रंग भी काला
इसलिए मैं काला
सडा इतना बता दे काणा
さे तेरा रंग काला क्यु न
सडा इतना बता दे काणा के तेरा रंग काला क्यू
मनने काली पूतना को मार दिया
मैंने काली
पूतना को मार दिया
मैंने काली अपन पर नाच किया
और पूतना का भी रंग काला
पूतना का भी रंग काला
नागों का रंग भी काला
इसलिए मैं काला
सरई इतना बतादे काना
किये तेरा रङ्ग काला क्यों
सक्योज ही मुझे बुलाती है
सक्योज ही मुझे बुलाती है
और माखन मिशीरी खिलाती है
सक्योज का मन भी काला
गंजरे का रंग भी काला
इसलिए मैं काला
जरा इतना बता दे कान हा
के तेरा रंग काला क्यो
तू इतना निराला क्यो इतना बता दे कान हा के तेरा रंग काला क्यो
जड़ा इतना बता दे कान हा
ये तेरा रंग काला
क्यों ?
जड़ा इतना बता दे कान हा
जै कुबिंद जै नाधे
जै कुणिया जै कुणिया जै कुणिया लाल
बोला
जै कुणिया जै कुणिया जै कुणिया लाल
बोला जै कुणिया जै कुणिया जै कुणिया लाल
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