जग जीवन जी वचन बोल के वचन बताओ ग्यानी जीव की अवधी बताओ स्वामी तीन दयाल दया मुझ पे करना निज चरणों में जीव को रखना दयाबंत गुरुदीन दयाल
मुख्ती रूप जीव प्रतिपाल देना हमको अभे का दान अंदर करना उजाला ग्यान
गर्ववास में जो कस्मे खाया बाहर निकल के सभी भुलाया संकट में तुझ को होता ग्यान बाहर निकल करे अभिमान
सौगंध जो जीव निभाता करववास नहीं दोबान
मारा पाता अब नहीं बोलूं हे गुरुदेवा तन मन लगा के करूंगा सेवा
मुझको बाहर निकाले स्वामी कसम ना भुलाओ मैं अंतर्यामी
तु जो सौगंध इतनी खाया तभी गर्भ से बाहर आया नौवे मास जो बाहर आया
सुख सभी कुटुम्ब ने पाया लोग सभी बहुत हर्ष मनाते
पुत्र की बधाई देने आते बाजे बहुत संग अपने लाते
गीत खुशी के सारे गाते घर घर बांटे सभी मेश्ठान
नारियां गाती सभी मंगल गान घर राजा के जन्म जो पाया
गर्ब की कसमें सभी भुलाया पाकर जन्म सभी तु भुलाया
गर्ब का ज्यान सभी मिटाया ऐसे कर्म ये करता काल
जीवों को फसाता अपने जाल छूठा पाए छूठ संसार
नरक कुंड पाए कस्त अपार
पिसुन कर्म वर्णन
प्रतवार
माता मन में करे बखान, कुल सूरज हमें दिये भगवान, पुत्र जन्मा घर आज हमारे, मिट गए दुख जन्म के सारे
नाईन देती एक बढ़ाई, बाते तीन वो आके बताई, मेरा कहा करो तुम काम, ना कि छेदी रखो ना थूराम
पहले नालिस की गड़वाना, फिर बालक को बाहर लाना, पिता बहुत खुशी मनाता, उमंग हरश नह दैसमाता
पान मिठाई बहुत बहुत
पटवाया, धन्यभाग पुत्र हमने पाया, काका कहे मैं उत्रूं पार, बालक खेले घर के द्वार, कर्म का फल ये मैंने पाया
छेत्र पाल नाम बालका बताया, दादा सुनके दोडे आये, फोता देख बहुत सुक पाये, दासी हाथे गुमर मंगाया
प्रेम से गले उसे लगाया, दादी के मन हर्ष अपार, लेती बलईयां बारंबार, मैं करी सतीयन की सेवा, हुए प्रसन तब दुल के देवा
नानिया करी शीगरी उठाती, मुख चूम के कंथी लगाती, चून ले सिर उपर वारे, सुन माल फिर बहुती
उतारे, मुख देखिने अब नाना आते, भेवता देख अधिक सुख पाते, उमंग ना उन केहर दे समाई, कंचन चूरा दिया बधाई
बहुत हर्ष बुआ है मनाती, गीत मंगल नित दिन गाती, मुख चूम के कंथी लगाए, केहर दे हर्ष उमंग समाई
मौसी बहुत हर्ष मनाती, धने बहन की को बताती, मुख चूम के कंथी लगाए, अतियानन विहदे में समाए
बुढिया एक पड़ोसन आती, आकर बात एक समुझाती, बालक से तेल लॉन लगाना, लॉना नाम से इसे बुलाना
दूजिया कर ये समुझाती, बालको छीतर मिसलाती, सच्चा टोना तुम्हे बताओ, छीतर इसका नाम सुझाओ
पड़ोसन तीजी बोले स्यानी, मैं जानू एक बात पुरानी, कोदरा बराबर इसे तुलवाओ, कोदर सिंग कह इसे बुलाओ
चमीरन गोदी से बैठाओ, लेकर मोलि स्नान कराओ, चमुरू सिंग ना इसका रखना, बालक जीवन लंबा करना
देखने नारी जितनी आती, अपना मत है सभी बताती, अलग अलग मत सभी बताएं, स्यानपन अपना सभी जताएं
बुड़ा एक शीशना
भैरों शीश उसके आता, खुद को बैर एक बंधवाता, भैरों सिंग नाम बतलाता, देवी साधक एक तब आया, देवी सिंग तब नाम बताया
काजी मुर्गी कोई चड़ाता, काजी दीन तब नाम बताता, अनेक लोग वहाँ ऐसे आते, अपना उपार
सभी बताते, पुरोहित घर का यही बताए, मन के मनोरत पूनी कराए, ये तो बड़ा सपूत कहाए, इसके समान न दूजाए
पुरोहित कह यजमान है मेरा, कुल देवी भैरों का चेरा, चरण भाटी दिये आशीश, महमाई दो हमें बखशीश
दर्वेश एक तुने समझाता, नाम पकीरा वो है बताता, गले तावीज एक बंध वाया, सब पीरों का चारण बताया
चोगी एक वहां पर आता, अपनी भवूत का प्रभाव सुनाता, तुम कहा हमारा करना, नाम सदा शिव इसका रखना
यंत्र मंत्र जतन कर लाए, बना के तावीज गले पहनाए, बज़ बटू सुवर दांत मंगाया, तो पारी माही उसे मढ़वाया
भोजि पत्र में यंत्र मढ़ाया, सात भाती कारेशम लाया, गुगल जला के धूप लगाता, फिर गले में उसे पहनाता
प्रामण नगर के सारे आए, पत्री का साथ में अपनी लाए, पीपल के पते मंगवाए, लगन देख के नाम सुनाए
जग जीवन है नाम जनम का, कभी ना होगा मरना इसका, जनम पत्री वे भली बनाए, दान दक्षिना सारे कराए
संसकार विदिवत सारे होते, मोह जाल में लगाता गोते, गर्व के कस्में सभी बुलाया, अमर होने का रोग लगाया
फेदि किसी से छिप नहीं पाते, स्याने लोग सब यही बताते, गर्व वचन जब कोई बुलाये, काल जाल में उसे फसाए
जूटे को जूटा ही है मिलता, इन से काज ना उसका बनता, यह सब जूटे पाखंड आज, इन से बनता न कोई काज
कहे कभीर सब चेतिये, आगे काल मलाले, जग जन जाल सब छोड़िके, पिछला लोक समाले
सौगन्द गर्व में जो भी खाया, बाहर निकल के सभी भुलाया, फिर भी कठिन जीवन लगता, अब उपाए कौन सा करता
इतने लोग सब दिये बढ़ाई, इन में तेरा कौन सहाई, सत्गुर शर्ण जो ना आए
मानुश जन्म न फिर से पाए, ये तिर मित्र नहीं है, बैरी सभी को जान, पचना चाहे जो काल से मित्र गुरु को मान