एकुंकार सत्नां
करता पूरक्षु
निर्भोर निर्वेर अकालमूरतु
चुनी सभं गुरुपरसाद।
जप आद सच जुगाद सच है भी सच
नानक हो से भी सच।
सोचे सोच ना हो गई जे सोचे लखवाण।
चुप पै चुप ना हो गई
जे लाहि रहा लिवतार।
पुखिया पुख ना उतरी
जिवन ना पुरिया पार।
सहस्यान पालक होई
ता इक न चलेनाल।
किव सच यारा होई ये किव कुडे तुट्टे पाल।
वाहे गुरुजी दा खाल साव।
वाहे गुरुजी दी फतै।