हम आज बवन सुत हनुमान की कता सुनाएंगे
पावन कता सुनाएंगे
वीरों के वीर उस महावीर की गाता गाएंगे
हम कता सुनाएंगे
जो रोम रोम मैं सियाराम की छवी बसाते हैं
पावन कता सुनाएंगे
वीरों के वीर उस महावीर की गाता गाएंगे
हम कता सुनाएंगे
हे ज्यानी गुण की निधान रखना भक्तों का ध्यान
हे ज्यानी गुण की निधान
रखना भक्तों का ध्यान
पूंजी का स्थला नाम था जिसका श्वर्ग किती सुन्दरी
वानर राज कजर के जनमी नाम हुआ अंजनी
कपी राज केसरी ने उससे ब्याह रचाया था
गिरि नामक संग पर क्या आनंद मंगल छाया था
राज केसरी को अंजना का रूप लभाया था
देख देख अंजनी को उनका मन हरशाया था
वैसे तो जीवन में थी सब कुछ हाली
परन्त कोद अंजनी माता की संतान से खाली
अब सुनो हनूमत कैसे पवन के पुत्र कहाते है
हे ग्यानी गुण के निधाण रखना भगतों का ध्यान
हे ग्यानी गुण के निधाण रखना भगतों का ध्यान
हे ग्यानी गुण के निधाण
रखना भक्तों का ध्यान
ये ज्ञानी गुण के निधान
रखना भक्तों का ध्यान
पुत्र प्राप्ती कारण मा अंजना तप कीती भारी
मदन मुनी प्रसन हुए अंजना पर अती भारी
भक्तेश्वर भगवान को जप तप से प्रसन किया
अंजना ने आकाश गंगा का पावन चल पिया
गोर तपस्या कर किया
वायो देव को प्रसन किया
अंजनी मा को स्पर्श किया वायो का एक जोका
पवन देव हो प्रकट उन्हें फिर पुत्र प्रदान किया
इस कारण वजरंग भली पवन के पुत्र कहाएंगे
ए ग्यानी गुण की निधान
रखना भक्तों का ध्यान
ए ग्यानी गुण की निधान
रखना भक्तों का ध्यान
राजा केसरी और अंजना करते शिव पूजा
शिव भक्ती के बिना नहीं था काम उन्हें दूजा
हो प्रशन शिव प्रकट हुए तब अंजना वर मागी
हे शिव शंकर पुत्र मेरा हो आपके जैसा ही
क्यों भोले जी बोले अंजना होगी पून तेरी इक्षा
मेरे अंश का ग्यार वरूद्र ही पुत्र तेरा होगा
जनम लिया बजरंगी छट गए संकट के बादल
चैत्र शुक्र की पंद्रा की और दिनता शुब मंगल
बजरंगी तब से शंकर के अवतार कहाएंगे
ए ज्यानी गुण के निधान रखना भक्तों का ध्यान
ए ज्यानी गुण के निधान रखना भक्तों का ध्यान
ए ग्यानी गुण के निधान रखना भक्तों का ध्यान
केसरी नंदन का है भक्तों प्यारा था बच्पन
जूल रहे थे चंदन के पालन में सुकरंजन
काम काज में लगी हुई थी अंज नारानी
सूरज को फल समझ उनोंने खाने की ठानी
उड़ने की शक्ती पवन देवने उनको दे ही दी थी
उड़ने लगे सूरज का फल खाने वाहे बजरंगी
वायु देव को चिंता हुई मेरा बच्चा चलना जाए
सूर्य देव की किरणों से मेरा फूल जुलसना जाए
बर्फ के जैसी वायु देवने यूहापा चलाएंगे बजरंग वले उस महाबली की गाथा गाएंगे
ए ग्यानी गुण के निधान रतना भक्सों का ध्यान
सुर्यदेव ने उनको आते देखा अपने ओर
समझ गए वो पवने
पुत्र है नहीं बालक कोई और
शीतल कर ली सूर्य देवने अपनी गरम किरने
पवन पुत्र गुरुरत पर चड़ कर सूर्य लगे डसने
अमावस्य को राहु सूर्य डसने को जब आया
बजरंगी का खेल देखके बड़ा ही घबराया
हिंद्र देव को आकर सारा हालता बतलाया
बोला एक बालक से तो मैं प्राण चुड़ा लाया
हिंद्र देव को साथ मिले कर राहु आएंगे
ये ग्यानी गुण के निधान रतना भक्तों का ध्यान
ये ग्यानी गुण के निधान
रखना भक्तों का ध्यान
हे ग्यानी गुण के निधान
रखना भक्तों का ध्यान
साथ साथ इंद्र को लेकर वापस राहू जब आया
बाला जी की मार से खुद को बचा नहीं पाया
मार मार कर राहों को जब कर डाया बेहाल
दोडे एरावत को लेकर वापस राहू जब आया
बाला जी की मार से खुद को खाने मार अंचनी के लाल
एरावत की रक्षा करने इंद्र बने विरढाल
बाला जी की शक्ती की जब देखे इंद्र कमाल
समझ खिलोना बाला एरावत को पकड लिया
इंद्र देवता को भी अपनी भुजा में जकड लिया
हिंद्र देव क्या करते हैं आगे बतलाएंगे
हे ग्यानी गुण के निधान रखना भक्तों का ध्यान
रखना भक्तों का ध्यान
वार किया जब वजरान
इंद्र ने उनकी थोड़ी पर
मुर्चत होकर पवन पुत्र गिर गए गीरी कंद्रा पर
इंद्र देवता क्रोधत होकर गती रोग ले अपनी
तीनों लोग के प्राणी करने करने ताही ताही
सारे देवताओं को न सुझी जब कोई भी आग
प्रमाजी को लेकर
पहुँचे पवन देव के पास
प्रमाजी ने हाथ जब उनके अंकों पर फेरा
शन दूर हुई बाला बजरंगी की मूर्चा
फरदान उने दे दे कर सारे देव मनाएंगे
हे ग्यानी गुण के निधान
रखना भक्तों का ध्यान
हे ग्यानी गुण के निधान
रखना भक्तों का ध्यान
ब्रह्म देव ने बजरंगी को यह वर्तान दिया
ब्रह्म कभी नहीं लगेगा इसको यह एहान किया
बोले इंद्र तेरा शरीर होगा
वच्र के जैसा वर्तान दिया
सूर्य देवता बोले देख के सहसे उनकी ओर
मेरे तेज से होगा बाला तू तो शताब धान
वर्ण ने अपने पाश और जल से बचने का दिया वर्दान
कहने लगे यमराज तू मेरे धंड से रहेगा दूर
और बहुत से देवी ने वर्दान दिये बरपूर
इस कारण बजरंग भलि देवों के देव कहाएंगे
हे ग्यानी गुण के निधान रखना भक्तों का ध्यान
हे ग्यानी गुण के निधान रखना भक्तों का ध्यान
हे ग्यानी गुण के निधान रखना भक्तों का ध्यान
हे ग्यानी गुण के निधान
रखना भक्तों का ध्यान
ब्रह्म देवता बोले होगा तू ऐसा ज्यानी
जुक जाएंगे तेरे आगे बड़े बड़े अभिमानी
तुझे युद में कोई पराजित कर नहीं पाएगा
तू जैसा चाहेगा वैसा रूप बनाएगा
संकट हारी तू सबका ही होगा हितकारी
कहने लगे फिर इंद्र देवे बजरंग बलधारी
तेरी हनू तूटी जो बालक लगा वजर मेरा
इस कारण हनू मान रखा मैं आज से नाम तेरा
हनू तूटने के कारण हनू मान कहाएंगे
हे ज्यानी गुण के निधान रखना भक्तों का ध्यान
हे ज्यानी गुण के निधान रखना भक्तों का ध्यान
नटकट चंचल ऐसे थे बालापन में हनू मान
बजरंगी की चंचलता से रिशी मुनी थे हैरान
रिशीयों ने सोचा बालक में नहीं अच्छा अभिमान
श्राप दिया इस कारण इसका हो जाए कल्यान
होकर बड़ा करना है इसे राम प्रभू का काम
रिशिवर बाबा बजरंग का यूं करते थे सतकार
ठीक समय पे इसे जो शक्ती याद दिलाएगा
हम रिशियों के श्राप से छुटकारा मिल जाएगा
रिशी, मुनि, साधू, संत इनकी जैकार लगाते है
बजरंग वली उस महावली की गाथा गाएंगे
हे ग्यानी गुण के निधान रखना भक्तों का ध्यान
हे ग्यानी गुण के निधान रखना भक्तों का ध्यान
हे ग्यानी गुण के निधान
रतना भक्तों का ध्यान
एग्यानी गुण के निधान
रतना भक्तों का ध्यान
मात्रे सिख्षा से राम चरित्र का पूरा क्यान मिला
बजरंगी को सब देवों से ही वर्दान मिला
अंजनी मा आदर्श चरित्र की कता सुनाया करती थी
भक्त का और भगवान का अंतर उने बताया करती थी
एक दिन अंजनी मा
माता बोली जाओ मेरे लाल
सुर्यदेव से सिख्षा लो यह है मेरा देश
मा इच्छा को रख आखों पर धर कर शक्ति मान
सुर्यदेव से सिख्षा लेने जा पहुँचे हनुमान
सुर्यदेव से सिख्षा लेने बजरंगी जाएंगे
ए ग्यानी गुण के निधान रतना भक्सों का ध्यान
राम रूप धरती पर विश्णू का अवतार लिये
अवत पुरी में धूम लिये
राम रूप मची जग पे उपकार किये
शिव शंकर वन के मदारी पहुँचे राजदुआर
साथ में एक वानर था जिसकी सुन्दरता आपार
नाच देखने राम सहित आप पहुँचे चारो भाई
नाच नाच बजरंग ने अपने प्रभु को हसी दिलाई
राम जी बोले हमसे चाहे कुछ भी हेलो मदारी
ये वानर देदो हमको ये इच्छा है हमारी
भक्त के संग भगवानी कैसा खेल रचाते हैं
बजरंग बली उस महावली की गाथा गाएंगे
ए ग्यानी गुड के निधामा
रखना भक्तों का ध्यान
ए ग्यानी गुड के निधान
रखना भक्तों का ध्यान