रत करने से सब पापों पर अंकुष ही लग जाते हैं।
पाप अंकुषा एकादशी की भगतों कता सुनाते हैं...
पावन वरत की ये गाता प्रमांद पुरान में आती है
पाप अंकुषा वरत करे जो उसके पाप मिठाती है
उसके पाप मिठाती है
बिंध परवत पे क्रोधन नामक एक बहलिया रहता था
बड़ा क्रूर वझगडा लूता
नरक कुंड में बहता था
नरक कुंड में बहता था
बुरे करम तो बुरे मानुश के मन को ज्यादा लुभाते हैं
पाप अंकुषा एकदशी की भगतों कता सुनाते हैं भगतों कता
सुनाते हैं बढ़कंग से सब पापों पर आंकुष ही लग जाते हैं
पाप अंकुशा एकदशी की भगतों कता सुनाते हैं
भगतों कता सुनाते हैं
ना माने मन में वो तो नित पीता मदिरा के जान
भोला भाला राही मिलता लूट पात था उसका काम
पाप करम में उसने अपना जीवन सारा बिता दिया
अपने मन को जीत न पाया धर्म करम बिसरा दिया
धर्म करम बिसरा दिया
धीरे धीरे जिन्दगान के अन्तिम दिन भी आते हैं
पाप अंकुशा एक अधशी पर भगतों कथा सुनाते हैं
पूर्थ से एक दिन पहले का तो अंत समय जब आया था
यम दूतों की सूच न पाके बहेलिया गबराया था
बहेलिया गबराया था
जित्यू भै से लगा कापने रुक रुक आने लगी थी श्वास
रिशी अंगिराजी के आशिरंब पहुँचा मन में लेकर आस
पहुँचा मन में लेकर आस
जम के दूत भला कब किस पे दया के भाव दिकाते हैं
पाप अंकुषा एकदशी की पावन कता सुनाते हैं
भगतों कता सुनाते हैं
जद करने से सब पापों पर अंकुष ही लग जाते हैं
पाप अंकुषा एकदशी की भगतों कता सुनाते हैं
भगतों कता सुनाते हैं
ये दर करवों तो भगवन मैं बड़ा पाफी हूँ
पाप कमाएं जीवन भर पर अब मैं चाहता माफी हूँ
अब मैं चाहता माफी हूँ
ए भगवन कोई किरपा करके मुझे उपाएं बतला दो
मुझे मोक्ष मिल जाएं मुक्षी पापों से तुम दिलवा दो
पापों से तुम दिलवा दो
कल को अन्तिम दिन जीवन का यम के दूत ढराते हैं
पाप अंकुशा एकदशी की भगदों कता सुनाते हैं
प्रत करने से सब पापों पर अंकुश ही लग जाते हैं
अंकुशा एकदशी की भगतों कता सुनाते हैं
महादिशी अंगीरा जी ने देखा उसको भारमबार
यम दूतों की पड़ेगी माल
इकना एक दिन फ़ऱ्ठी है
पापी बंदे थोड़े दिन ही सीना तान दिकाते हैं
पापी बंदे थोड़े दिन ही सीना तान दिकाते हैं
पाप अंकुशा एकदशी की पावन कता सुनाते हैं
मगतों कता सुनाते हैं
प्रत करने से सब पापों पर अंकुश ही लग जाते हैं
पाप अंकुशा एकदशी की भगतों कता सुनाते हैं
सोच समझ के बोल रिशी जी इसका तो है यही उपास
पाप अंकुशा एकदशी का व्रत उपवास किया अब जाय
व्रत उपवास किया अब जाय
अश्विन शूकलपाश की बेला पापों को तो संहारेगी
पाप नस्ट हो जाएंगे सारे बेडा पार उतारेगी
बेडा पार उतारेगी
विश्ण लोक में जगा मिलेगी भगवन मेहर फिराते हैं
भगतों कथा सुनाते हैं
व्रत करने से सब पापों पर अंकुष ही लग जाते हैं
पाप अंकुषा एकदशी की भगतों कथा सुनाते हैं
अगले तिन ही एकदशीती श्रधा भाब से व्रत किया
भूका रहकर पूजावन में सामगरी और गृत दिया
सामगरी और गृत दिया
ऐसा असर हुआ के पापों से वो छूट गया
जो पापों का भरा थमटका पुन्य करम से फूट गया
पुन्य करम से फूट गया
यम के दूत उसे लिये बिनही वापस लाट के जाते हैं
पाप अंकुशा एकदशी की पावन कता सुनाते हैं
भगतों कता सुनाते हैं
व्रत करने से सब पापों पर अंकुश ही लग जाते हैं
पाप अंकुशा एकदशी की भगतों कता सुनाते हैं
यह
पुन्य देता है व्रत ये जैसा कथा में आया है
जिसने व्रत किया है भगतों उसने ही फल पाया है
उसने ही फल पाया है
सूर्योदै से पहले उठक सभी तरे शुद हो जाएं
विश्नु मूर्ती को नहला के पूजन में फिर चित लाएं
पूजन में फिर चित लाएं पूजन में फिर चित लाएं
पूजा भगती के सब रस्ते विगडे काम बनाते हैं
पाप अंकुशा एकदशी की पावन कता सुनाते हैं
भगतों कता सुनाते हैं
प्रत करने से सब पापों पर अंकुश ही लग जाते हैं
पाप अंकुशा एकदशी की भगतों कता सुनाते हैं
श्रधा भगती पूजन से श्री विश्नो जी को मनाना हैं
विश्नो पूजा करके ब्रामन को भोजन करवाना हैं
ब्रामन भोज कराना हैं
अन का सेवन करना नहीं है एक समय हो फल आहार
मन की माला रहो पिराते सुनले श्री हरी पुकाँ
सुनले श्री हरी पुकाँ
भजन कीरतन कर शद्धालो सारी रात जगाते हैं
पाप अनकुषा एकदशीकी भखतो क्ता सुनाते हैं
इल जूता अनवस्त्र बूमि और शाते का जो फरता दान
छिरी हरी के शी चर्णों में जिसका पूर्ण रूप से हो ध्यान
शीरी हरी के नाम का किर्टन फ्रक में जो भी कर जाता
यम दूत का कभी बुलावा उस बन्दे को नहीं आता
उस बन्दे को नहीं आता
ऐसे व्रत को करने वाले विश्ण लोक में जाते हैं
पाप अंकुषा एदाधशी की पावन कता सुनाते हैं
भगतों कता सुनाते हैं
यह से सब पापों पर अंकुष ही लग जाते हैं
पाप अंकुषा एदाधशी की भगतों कता सुनाते हैं
जीवन की हो कोई अवस्ता जीवन की हो कोई अवस्ता
इतने भी तो किये हैं पाप अंकुषा एदाधशी के व्रत से सब कटते संताव
व्रत से सब कटते संताव पदमनाब भगवान हरी की पूजा से फल मिलता है
पुन्यमई हो जाता जीवन नाम स्वर्ग में चलता है
ऐसे व्रत से चूकने वाले जिंदगी भर पच्चताते हैं
पाप अंकुशा एदाधशी की पावन कता सुनाते हैं भगदो कता
सुनाते हैं व्रत करने से सब पापों पर अंकुष ही लग जाते हैं
पाप अंकुशा एदाधशी की भगदो कता सुनाते हैं
व्रत करने से दस पीडी के पापों का होता ओधार
मोच्च प्राप्त का अवसर मिलता स्वर्ग के खुल जाते हैं द्रार
गुरु करणश इन्ग कमलश इंग को ज्यान का पाथ पढाए रहे
धर्म का रस्ता क्याग न देन बार बार समझाए रहे
बार बार समझाए रहे
साध,
संत और गुरू,
देव ही मोक्ष को प्राप्त कराते हैं
पाप अंखुशा एकधशी की पावन कता सुनाते हैं
भगतों कथा सुनाते हैं
फ्रत करनๆ से सब पापों पर Ankhush ही लग जाते हैं
पाप अंखुशा एकधशी की भगतों कता सुनाते हैं