दिल रास्ता ढूंडे वही
जिस पर चले थे हम कभी
क्यों होता है गुमा
शायद हो तुम वहाँ
दिल रास्ता ढूंडे वही
कभी सोचता हूँ मैं यह
कि हासल होगा तो क्या
थोड़े शिक्वे
पर
थोड़े गिले और था ही क्या बचा
पर ये नहीं मानता
है दर्द ही मेरा हत करे
दिल रासता ढूडे वही
जिस पर चले थे हम कभी
क्यों होता है गुमा
शायद हो तुम वहाँ
चण चारो चारो तेरा घुश
तेरा ख़यान कैसे कलाओ तेरीब आँख
चण चारो चारो तेरा घुश
टेरीब आँख
पत्जढ़ है वहाँ कब से आकर तो देख लो
करती है बाहर इंतजार अभी तुम्हारा ही
पत्जढ़ को कर दो रहाँ और बाहर को आने दोना
दिल रास्ता ढूढे वही जिस पर चले थे हम कभी
तेरा ख़्याई ऐसे बोलाओ देटी आप वह छोड़ो तरफ तेरा गुशर तेरा ख्याई ऐसे बोलाओ देटी आप वहो
करते हैं