कैसे
बेठे बेठे सारे घम मुझसे
लेकर गए तुम
जैसे जैसे फूलों
फूलों सी खुश्बू
देकर गए तुम
मेरी तनहाईया
मेरी परचाईया
कहने लगी तू ना जा
जाये तो नूर छोड़ जा
देखे जो तू यू प्यार से
देखू मैं खाब जाग मैं
बन के तू आस रह जाये पास
छूटे ना हाथ साथ ये
देखे जो तू ना जाये पास
घर लगे तू ना खाब जा
गए तू ना चले जाये पास
गेसे बेठे बेठे
यादों में हसते बसते गए तुम
जैसे प्यारे सपने
सपनों में आके
कुम हो गए तुम
मेरी तनहाईया
मेरी परछाईया
कहने लगी तू ना जाये
तो नूर छोड़ जा
दिन हो या राब हो
तुम पास हो
ये एहसास हो
तुम पास हो
चोटी सी बात दिल में दबी
कहनी है आज और भी
बन के दूआ तू है बसी
ओंटों के आस पास ही