एक हजार घोड़ा लियाई के रिचिक मुनी राजा गाधी के सुपुर्ध कर देखना है।हाईला जोन चाहत रहना लेला राजा गाधी के विटिया के सांथ में भवरी घूम केऔर रिचिक मुनी उनकर घहर कहां रहना है?खाटी जंगल में जैसन बेचु विर्वर ही, कहीं खाल कहीं, कहीं मड़ही कहीं, गड़ही।मुनी के सांथ में जब सत्यवती आई है, आधी उमर बीच चुकी है, आधा उमर बचल हो सता था, और सुहाग रात के जोन दीने आयेल है।तो एक ठीक गीत लगेल भाई, उहाँ गीत को बोलते हैं सब परदा लेला, उहाँ गीत को बोलते हैं, अरे छोड़ी दर्विया, आये है मोर राजाजी, अखाही रोज दूधव मलाईया।तनिशत तार्ज के छोड़ा, तार्ज के अंदर यवा मुनिवर कही लें का सुहाग रात में, दुलहिन एक तरफ जंगल के अंदर ढुटी मलाई में, दुलहिन से सजाई के जोहत थे उस लाणी सत्यवती।हम मुनिवर का हालत हो, का हालत हो, अबता हमरो ठक गये दनम, धाल गये हमरी जवानिया।कई से कहुई हैं हमारे लाणी के लाल लगा मांज़री से।एब भाईया, मुनिवर का अधेरा यवस्ता जानी पचास पार के ले हूँ है।एक बार लाई नावाथ, एक बार नावाथ आओ।नाई एकडम पूरा करेंट वर फेल है।जैसे ही सुहाग रात में गुशोत होने थाई कि नाई नवेली दुरहिन खीचत है अपनी होने।अब मुनिवर पीछे हटत होने।आय है पीछे हटत होने एक बार नाई नवेली दुरहिन राणी सत्यवती से दुलही से कहले।जोगावाद से अपने खीरिया बनाई बाई।राणी के खियाई करके पुत्र जनमाई बाई।लगल बनावे मुनि जोगावाद खीरिया कर लगे पुझा हावानी।तबले तयाई हो गई ली राणिया समाना।मुनिवर सोचे कि अब सुहाग रात बिताय न पाईब लेकिन बंच चली काईचे।योग साधना के द्वारा एक खीर बनाने लगे।दुलही सत्यवती कहती है, सन्या करत का हुआ।योग साधना के द्वारा एक खीर बनाने लगे।दुलही सत्यवती कहती है, सन्या करत का हुआ।कमन गीत के बोलबार, दिल ले गया पर ज़ेती कोई रोक ना था।कमन गीत के बोलबार, दिल ले गया पर ज़ेती कोई रोक ना था।दिल ले गया पर ज़ेती कोई रोक ना था।
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