अजब निरास वने तो कोई
खणी अखिन में प्यास
जाल्म डादी गात उसन की
करें कैसे क्यास
शाम उन्दाही गहरी गहरी
है कारी सर्ग मास
उन्दाहें का ओए चांडो क्यूं
निरास वने तो कोई
खणी अखिन में प्यास
जाल्म डादी गहरी
है कारी सर्ग मास
जाल्म डादी गहरी
है कारी सर्ग मास
जाल्म डादी गहरी
है कारी सर्ग मास
दुलभाजा लो आबदंदो
दर्दवंदन जूदा हूँ
साइव संशा दर्दवंदन जूदा हूँ
थो तरखाई किलंदो दिली तके
धन दो ने ही माँ
साइव संशा दर्दवंदन जूदा हूँ
थो तरखाई किलंदो दिली तके
थो तरखाई किलंदो दिली तके
खुल भेड अपने साल गाईंदो
वहवशणा वराइंदो
दुख डातें जा दूर कंदार की
लंद पान समबारूं
ओ साइम संचा दूर कंदार की
लंद पान समबारूं
सद सुनी कुछ सून दाई अची
गर्द गोडी दिदारूं
ओ साइम संचा गर्द गोडी दिदारूं
तो के मुझ ज़रूर मिलाईंदो
मिलाईंदो
साइम संचा भेड अपने साल गाईंदो
वहवशणा वराइंदो
हाथ जलीं तो अभी ना चलीं तो
मिल्टा महीं दो माधि
ओ साइम संचा भेड अपने साल गाईंदो
हाथ जलीं तो अभी ना चलीं तो
मिल्टा महीं दो माधि
ओ साइम संचा भेड अपने साल गाईंदो
विरन विरन देशी को में सोके
तु भोगीं दो माधि
ओ साइम संचा भेड अपने साल गाईंदो
तु भोगीं दो माधि
ओ साइम संचा भेड अपने साल गाईंदो
बाहुसना वराइंदो
ओ धेड अपने साल गाईंदो
ऑ बाहुसना वराइंदो
ओ भेड अपने साल गाईंदो
बाहुसना वराइंदो
ओ भेड अपने साल गाईंदो
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