मैं घर पे बैठा बोर हो रहा था और एक शाम
उदासी भरी क्लास में बनाया एक और जाम
फिर हुआ मुझे फ्लैश पैग
यादोंने किया स्लैप पैग
एक लड़की थी और उसका करेका था इंतिज़ार
उन मरती थी मुझे और करती थी बस मुझे प्यार
अग लड़ वज़ वी अलोग है
अब हो रहा सब कुछ वीख है
राती शासती और हम सुभा को भोल गए
बीटी ने तस्तक थी हम दोनों कुछ से दूर
गए उँ इन खौहिशों में अपने भी तो छोड़ गए
हस्के मैं कुछ से ये कहूँ ये जिन्दगी है लूप
सब कुछ से गए है रूप पर जो होना होता है वो हो जाता है कुछ
अब समझा मैं सालों से मुझ्किल में उलजा और लिप्टा था क्यूँ
उन यादों की फित्रत में डूबा और कैसे मैं खोया रहूं
लोग कहते हैं हम जीने चाहते हैं वो कभी मिलते नहीं
मैं कुछ के ही कर्मों की राहों पे मुझ्किल से चड़ता फिरूं
हाँ हाँ हाँ मुझे को पता ना चला क्या सही और क्या होता गलार
मैं किरता रहा प्यार के नशे में I was drunk
लोग कहते हैं मुझे क्यों रूट दिल मेरा हो चूका है मिूट
ये जालिम जमाना अब मुझे क्यों लगता है जूरू
गहरी समंदर की इन कश्टियों में फिरता रहूं
अपने उन यादों की सियाही से कुछ लिखा करूं
उनकी मतलब का कभी शायर मैं बन ना सका
हस्के मैं खुछ से ये कहूं
ये जिन्दगी है लूप
सब कुछ से गहरूट पर जो होना होता है वो हो जाता है कुछ
ये जिन्दगी है लूप
सब कुछ से गहरूट
पर जो होना होता है वो
हो जाता है कुछ