सच्चिन कलकल
सच्चिन कलकल
रोज रोज के ये रोड़े मने घागे कती बित्तरते
मेरे आंसुनां की कदर कोन्या तंगल हो ली तेरे चरित्तरते
मेरे आंसुनां की कदर कोन्या तंगल हो ली तेरे चरित्तरते
मैं बन गी सुलास ना रही कोई आस
उशित ने पित्तरलाकति तोड़ दिया रे
पहला कोना था तुआदीप बन्या रे
शरापी तने रिश्च ते मैं जैर कती घोल दिया रे
पहला कोना था तुआदीप बन्या रे
शरापी तने रिश्च ते मैं जैर कती घोल दिया रे
विनों दे जाटू साना ना रह रहा इब याना
ऐस के राओ भी तेरी जिन्दगी मैं मुड़ के इब नाना
ऐस के राओ भी तेरी जिन्दगी मैं मुड़ के ना इब नाना
ना वेब रास मेरी आँखरी ससास तने जिन्दगी का पल पल रूड दिया रे
पहला कोन था तु अदीप पड़ रे शरापी तने रिष्च तेमें जैर कती गोल दिया रे
पहला कोन था तु अदीप पड़ रे शरापी तने रिष्च तेमें जैर कती गोल दिया रे
हर इश्चते में जैर खती घोड़ दिया रे
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