कल जो सखम थे ये नम, आज न बेने दे हम।
भूल जाएंगे वो घम, जिन पे थे रोए कल।
के रात में अगर चांदनी का असर ना रहे,
तो सम्माल।
मज लो कि नाराज हम।
तुम भी बेजार हो।
हम पे कैसे सितम।
वक्त भी के ले अगर तो ना आएंगे अब।
के एहसास है, ना कोई राज है।
धिन्यवाद।
दिल में जो दर्द रहे।
ये ना चाहा कभी, ना ये मांगा कभी।
बोलो आप कैसे जिये।
कल जो जखम थे ये नम।
आज न बेने दे हम।
बोले जाएंगे वो गम।
जिन पे ते रोए कल।
ये ना चाहा कभी, ना ये मांगा कभी।
ये सांसो में जो आरजो एक छुपे।
बाते करनी थी जो अब वो कहे न सके।
हम भी थोड़े कदम लेके रुक से गए।
जाने कैसे।
मगर अब न कुछ।
कर सके।
के ये एसास है।
न कोई राज है।
दिल में जो दर्द रहे।
ये न चाहा कभी, न ये मांगा कभी।
बोलो अप।
कैसे जिये।
कर जो जखंते ये नौ।
आज न बहने देह।
बोल जाएंगे वो हम।
जिन्दौ।
पेथ रोए कर।
ये रात में अगर चांदनी का असर न रहे।
तो समझ लो कि नाराज हम।
जिन्दौ।