एकिसानों ये धर्ती तुम्हारी है मांजिन्दगी में कोई मां से प्यारा नहींमेरी आवाज सुन लो मेरे साथियोंफिर न कहना के तुमको पुकारा नहींआओ मेरे साथियोंआओ रे साथियोंआओ रे साथियोंआओ रे साथियोंआओ रे बंधुआओ रे बंधुआओ रे साथियोंवो कौन है जो मां की तरह ना जुटाएपलकों को बिठाए रेदे के लहू अपना जो फसलों को उगाएखेतों को हसाए यही धर्ची यही धर्चीवो कौन है जो मां की तरह ना जुटाएपलकों को बिठाए रेदे के लहू अपना जो फसलों को उगाएखेतों को हसाए यही धर्ची यही धर्चीइतना बड़ा संसार कहो ठाए कहां सेजीने के ये सामान भला आए कहां सेइनसान ये हीरे ये मोती ये जवाहरपाए तो है महनत से मगर पाए कहां सेवो कौन है खुश हो के जो धन अपना लुटाएकुछ भी ना छुपाएयही धर्थी यही धर्थीवो कौन है जो मां की तरानानाज उठाए पलकों पे बिखाएयही धर्थी यही धर्थीगर्मी हो या सर्दी कभी होती नहीं पेकलचुपचाप सहा करती है बरसात का जलखलजुबीजाप सहा करती है हर साथ सजल हलखुद मिट के इसे आता है औरों को बनानाकुछ भी न कहे छाती पे दिन रात चले हलभूका तो उठाए कभी भूका न सुलाएपाकों से बचाएयही धर्ती यही धर्तीवो कौन है जो मा की तरा नाज उठाएपलकों बे बिठाएयही धर्ती यही धर्तीधर्ती की इसी धूमेजो मा की तरा नाज उठाएजीवन है सभी का देती है ये पैगाम जमाने को खुशी काचंदन को जो शरमाए यही तो है वो माटी इस माटी से माथे पे लगाते चलो टीकाइस माटी से माथे पे लगाते चलो टीकावो कौन है आकाश जिसे चुमने आए सीने से लगाए यही धर्की यही धर्कीवो कौन है जो मां की तरानाज उठाए फलकों पे बिटाएदे दे के लहु अपना जो फसलों को उगाए खेतों को हसाएयही धर्की यही धर्कीहुआ हुआ है