तेरी बातों का जादू अभी चूता है
हर लमहां तेरा एसास मुझसे जूला करता है
देर रात खामूशियों में तेरा सुर सुरा था
जैस कोई की तधूरा गुंग ना था
यादों का सफर मुझे तेरा एहसास दिलाए
तेही असी का चैन अब भी मुझे तडबाए
जैसे अंधेरे में चांदनी अपनी राह बनाए
तेरा होना कभी मेरा हिस्सदार था
अब ये दुनिया जैसे बस एक किरदार था
वो पल जो तुझे से
चोड़े थे सपने तूट कर भी चूटे हैं मेरे अपने
तेरा नाम जो लगों पर था चड़ा दाकन में अभी वो
पिस है चड़ा
जो तुझे भी कभी मेरी आद सताती है या मैं ही बस तेरा आदित हूँ बताती है
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