उठे चड़ते गिरते सन मेरा चक्राए
आखे नींद भरी और दिल मेरा घबराए
मुझे आत तेरी ना आए
उठे चड़ते गिरते सन मेरा चक्राए
आखे नींद भरी और दिल मेरा घबराए
सब कुछ बूल के दिल बस एक ही मिसेरा काए
मुझे याद तिरी ना आए
दिल की तकलीफों को कैसे हम चुपाए
भूल की तरहाम खुशियों से हैं मुर जाए
सब कुछ बूल के दिल बस एक ही मिसेरा काए
मुझे याद तिरी ना आए
तुमको क्या लगता हूँ मैं खुश नसीब
बस क्योंकि तुम आ गई थी करीब
महाबत में दुनिया मैं अपनी लुटा के
महाबत मैं तुर से हुया हूँ घरीब
तुमको क्या लगता हूँ मैं खुश नसीब
बस क्योंकि तुम आ गई थी करीब
क्यामत में सारे सवाबों के आगे
गुना हूँ नैं मैं हो गया क्यों शरीख
यह कैसे समझ आउं मैं
मैं दिल से मुरा हूँ क्यों
यह कैसे को सुनाओं मैं
महाबत भरोसे का दुसरा ही नाम है
तुमको नहीं तो फिर मेरा क्या काम है
अफसोसे घम ही तो दिल जहरा है
मंबावरा फिर भी इसका घुलाम है
मा जाने क्यों
तुमसे जादा मुझको कोई यर नभाए
आखे नीद बरी और दिल मेरा गबराए
सब कुछ भूल के दिल बस एक ही मिसरा गाए
मुझे याद तिरी ना आए
दिल की तकलीफों को कैसे हम चुपाए
भूल की तरहां खुशियों से है मुझे जाए
सब कुछ भूल के दिल बस एक ही मिसरा गाए
मुझे याद तिरी ना आए
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