ये सोच के हमने जाने दी
मैयत पे मेरी वो आएगा
दो एक ख़दम ना साथ चला
दो एक ख़दम ना साथ चला
दो चार ख़दम तो
आजाएगा ये सोच के हमने जाने दी
उसके आदों की
खुश्बू से पहकेगी लहद की विराणी
उसके आदों की
खुश्बू से पहकेगी लहद की विराणी
जब कबर में वो दबना के हमें
मितियों पर पहलाए
जब कबर में वो दबना के हमें
सोचना था के वो अपना कुछ से भी तड़ पाएगा
सोचना था के वो अपना कुछ से भी तड़ पाएगा
जब मैयत रुकसत भावी वो
दीवाना जश्न मनाएगा
इस बोच के हुँने जुंदर भी
तुमसे मेरा क्या रिश्टा है
ये सुनकर मैं उद्दियाज हुई
तुमसे मेरा क्या रिश्टा है
ये सुनकर मैं उद्दियाज हुई
भो प्यार के वादे करता था
वो ऐसे इस्तैयाज tribes उद्दियाज है
भी परवाएगा ये सोच के जिन्ने जो है देश
साथ जमाला कब देता है ये बात हकीकत है अखंदर
साथ जमाला कब देता है ये बात हकीकत है अखंदर
नहीं है सासों से जब
साथ जमाला कब देता है ये बात हकीकत है अखंदर
पतल से सर टकराएगा ये सोच कि हमने जान देरी महियत पे मेरी वाँ आएगा
जो एक कदम ना साथ चला दो चार कदम ता जाएगा ये सोच कि हमने जान देरी
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