वो सर्वरे किश्वरे रिशाल जो अरश पर जल्म गर्व हुए थे
नए निराले तरब के सामा
अरब के महमा के लिए थे
वो सर्वरे किश्वरे रिशाल
वहाँ फलक पर यहां जमी में
रची थी शादी मजी थी दू में
उदर से अन्वार हस्ते आते
उदर से अन्वार हस्ते आते
इदर से नगमात उठ रहे थे
वो सर्वरे किश्वरे रिशाल
जो वर्छ पर जन्वगन हुए थे
नए निराले तरब के सामा
अरब के महमा के लिए थे
उतार कर उनके रुख का सद्दिका
ये नूर का बट रहा था बाड़ा
उतार कर उनके रुख का सद्दिका
ये नूर का बट रहा था बाड़ा
के चांद सूरज मचल मचल कर
जबीं की खेरात मागते थे
के चांद सूरज मचल मचल कर
जबीं की खेरात मागते थे
वो सर्वरे किश्वरे रिशालत
जो अर्छ पर जलवगर हुए थे
वही तो अब तक छलक रहा है
वही तो अब तक छलक रहा है
नहान में जो गिरा था पानी
कटोर तारों ने बर लिये थे
नहान में जो गिरा था पानी
कटोर तारों ने बर लिये थे
वो सर्वरे किश्वरे रिशालत
जो अर्छ पर जलवगर हुए थे
बचा जो तलवों का उलके दोवल
बना वो चलने का रंग रोगल
बचा जो तलवों का उलके दोवल
बना वो चलने का रंग रोगल
जिनों ने दुल्हा की पाई उतरं
वो फूल गुल्जार नूर के थे
जिनों ने दुल्हा की पाई उतरं
वो फूल गुल्जार नूर के थे
वो सर्वरे किश्वरे रिसालत
जो वर्ष पर जल्व गन हुए थे
वही है यवल, वही है आखल
वही है बातिल, वही है जाहर
वही है अवल, वही है आखल
वही है बातिल, वही है जाहर
उसी के जल्वे, उसी से मिलने
उसी से उसकी तरफ गए थे
उसी के जल्वे, उसी से मिलने
उसी से उसकी तरफ गए थे
वो सर्वरे किश्वरे रिसाल
जो वर्ष पर जल्वा गर्वे थे
नए निराले तरफ के सामा
अरब के महमा के लिए थे
वो सर्वरे किश्वरे रिसाल
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