बैसबरी है
मिलते हैं रिष्टों में चेहरे
क्यूं बैयकी है
काली जगा तो है बड़ी
फिर भी दिल में जैसे
लगता है मेरे हमसफर की हाकामी है
हलचासी है दिल में
है क्यूं प्यासी ये नजर
गुम है आशिक
की हो जो रहे है
उम्र भने
ये कैसी मोहबत कोई दुल से जा चुका है
कोई दिल में आ रहा है
ये हो क्या रहा है
क्या है ये मोहबत है बस या वहम मेरा
जिसमों के आसरे में मैं खुश न रहा है
ये मायने
की जो मुझको आशिक
है ये मोहबत कोई दुल से जा चुका है
कोई दिल में आ रहा है
ये हो क्या रहा है
क्या है ये मोहबत है बस या वहम मेरा
जिसमों के आसरे में मैं खुश न रहा है
क्या है ये मोहबत है बस या वहन मेरा
खोटों पे तो एज़हार में पर्द में कुछ और है
आहो ठाँपे तो एज़हार है पर्द में कुछ और है
बस जिसमों में ढूढे खुशी दिल इतना क्यों कमजोर है
खूब सूरत जूठे लाभुजों पे क्यों करते हम
ये क्यों करते हम
ना सुकूम मिले ना आने दें फिर भी कोई गम नहीं
वो जूठा आसमा है चमकिला सा एक दुआ है
जिसमें तारों की तलाश में मैं उड़ता रहा
बस आँखे ही जली पल के नंब होती रहे ना
मैं जमी का ही हूँ
आना आजमा का रहा है
कैसी है मोहबत कोई दिल से जा चुका है
कोई दिल में आ रहा है ये हूँ क्या रहा है
क्या है भी ये मोहबत है बस या वैहन मेरा
जिसमों के आसरे में मैं खुश मारा
जिसमों के आसरे में मैं खुश मारा