हम दो सना मेरे रब तेरी रहे
दिलों जान से
परस्तिष तेरी करें
मेरी पना हम, मेरी नजात है तू
एक आसिरा,
एक खुदा है तू
तेरे बिना
मैं कुछ भी नहीं
एक गल्लक,
एक तू
सही हूं दूर मैं तुझसे अब वापस आणा चाहूँ
हूं दूर मैं तुझसे अब वापस आणा चाहूँ
हूं दूर मैं तुझे से अब वापस आना चाहूँ
हूं दूर
मैं तुझे से अब वापस आना चाहूँ
दरपे तेरे मैं आ गया
सर है जुका
तू मिल गया
तेरे गुनाहों की तुझे से माफ़ी है
तेरा फजल मेरे लिए काफी है
तेरे सिवा मैं जाँँ कहाँ
मेरा यकीं तुही मेरा इमाँ
हूँ
رحمت تیری عبد خدا
थामा मुझे जब भी गेरा
तू रहनमा मेरे जीवन का
तू
रासता हर मंजिल का
देवा
मैं जाँँ कहां तू इपदा तू इन्तहां
मन दोर मैं तुझे से अब वापस राना चाहूँ