अरे ओ, कुंटिके
हि ज रे बन कर के
रन्भूय में लड़ने के लिए आया हे, रन्भूय में
लड़ने का काम हि ज डे का नहीं
रन्भूय में तो लड़ने का काम योद्धा का होता है
अगर, तुर रन्भूय में आया हे
चिन पो आवशर आया हे
मोनी पैरों से उल्टा चला जा, और कहीं हीजरे बात बेखते हुँ कहीं नाच गाना कर ले।
दादाजी, आज मैं नाच गाना बाद में करूँगा, पहले तुमसे यूद करूँगा, और बाद में मैं नाच गाना करूँगा।
मेरे सामने यूद करेगा?
हाँ।
ओरे वापस बग जा कुंती के क्यूं ओरे जाने खपावन आ गया
ओरे कदे भूले मैं मारा जा तेरे चोस जगवन आ गया
ओरे वापस बग जा कुंती के क्यूं ओरे जाने खपावन आ गया
ओरे वापस बग जा कुंती के क्यूं रे जाने खपावन आ गया
ओरे कदे भूले मैं मारा जा तेरे चोस जगवन आ गया
मैं मारे आजा तेरे जोस जगवन आ गया
अर्जुन कल परसो का तालग हो करके
मुझे लंगी देता है
अर्जुन कल परसो का धंपा लक्षमने
पूरे सतर साले करे
रत्ती पर भी अतर नहीं तन
सूप में तोले बार करे
अर्जुन कल परसो का धंपा लक्षमने
पूरे सतर साले करे
अधारा जिना बटन दिया तन
पूरे से ठीक सवाल करे
पूरे से ठीक सवाल करे
इन बातों का टेम नहीं रे
चवां चलावने आ गया
अपनी उरते नंगी का तुझे दात दिखावने आ गया
अपनी उरते नंगी का तुझे दात दिखावने आ गया
अर्जुन
कहीं हो दादाजी
मुझे दो सी मस्पना
इसमें
मैं बिल्कुल निर्गोश हूँ और इसलिए निर्गोश होने के नाद मैं तेरे सेल कहता हूँ कि रणभूमि में मेरे सापने से हट ले क्यों मरना चाहता हूँ
बाताती चाहे आज आप बस कैसा भी मुदे में हटा ले निर्गोशिक करो
बाताती चाहे आज आप बस कैसा भी मुदे में हट ले निर्गोशिक करो
बाताती चाहे आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज
अगनी बान से फूकूंगा तू कुछ भी अगने बना ले
मुझको भी सम कहते हैं क्यूं मुझे डरावन आ गया
तेरे बुढ़ा पे मैं दाता जी दूल में लवन आ गया
भी जिरे का ताम गर्ण में बान चलाने का नहीं होता
लिश्रे का ताम नाच में गाने का होता है
और मैं कहता हूँ कि तू इन बातों को बना करके
मुझे डरावन जाता है मैं डरने वाला नहीं हूँ
बाता जी इतने वर्षों से मैं इस आग को अपना सीने में दबाए हुआ हूँ
आज मैं आपसे यूद करकर यूद हूँ का चाय कुछ भी होना तुम्ही जी मुझे बात
सुना दे अपनी बात और मेरी भी सुन ले
ओरे हिजडे का हिजडे का करे कवना होता रन में बान चलाने का
मुश्किल तर दिया समय रामने पदला सभी चुकाने का
मैं कति से बद्ढा हुया ना सोक चीर धरवाने का
उस कति मैं आग लगो जो वो जाना से जमाने का
ओरे सवे बातों ने चानू शुक्यू
रे रे रे रे रे रे रे रे रे रे रे रे रे रे रे रे रे रे रे रे रे रे रे रे रे रे रे रे रे रे रे रे रे रे रे रे रे रे रे रे रे रे रे रे रे रे रे रे रे रे रे रे रे रे रे रे रे रे रे रे रे रे रे रे रे रे रे रे रे रे रे रे रे रे �
आज मने पढ़ावा ने आ गया, कौर वे आखें बढ़ा दिये क्यूं, मने हटावा ने आ गया.
अर्जुन पारे के भी चला जा सामने के
कुछ भी हो जाए दादा भी
मैं आपका बात कह दी
कुछ भी हो जाए दादा भी
तू भी को बदमास होया
ओके बदमासी देख लई मेरा
गलत नहीं इत्यास होया
ना के रोने दर समझी तू
फिर भी उनका खास होया
पुरुषर निदास का निदास होया
गुरुषर निदास का निदास होया
चे पुरे छन्द बनावन आज्या
सत्की कविताकर जेकरन
हर कोई गवन आज्या
सत्की कविताकर जेकरन
हर कोई गवन आज्या
वापस बंदे में
बगजा कुंती के रे वापच बगजा कुंती के क्यों जान खपावन आ गया
पदे बिल में माराज तेरे जोस जगवन आ गया
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