विधाता
अजब लिखी तक्दीर
होना था अबिसेंग राम को
होना था
अबिसेंग राम को
और पण को गए
रदवीर विधाता अजब लिखी तक्दीर
विधाता अजब लिखी तक्दीर
अजब लिखी तक्दीर
दाता
अजब लिखी तक्दीर विधाता अजब लिखी तक्दीर
विधाता अजब लिखी तक्दीर
हरीचंग एक तानी दाता
हाली द्वारे से
कोई न ग्याता
हरीचंग मराज
एसे धन्वान राजा थे
हरीचंग एक तानी दाता हाली द्वारे से कोई न ग्याता
विधाता आजब लिखी तक्दीर
विधाता आजब लिखी तक्दीर
अगर सुनसान पेठ नहीं रहोगे तो आनन नहीं आगाए तो
कच्चु तो कहो जई कहतू बिल्ली बुरो गार रहे हैं
अच्छो मत के उसके लिए ज़िया बुरो गार रहे हैं आप
पुछो कहने तो पड़ेगी ग्यार ठीक गार है गए भी अच्छा है तीक है ठीक है
भी भरन जब सर्मन पहुँचे लागा तीर प्रान जब छूटे
प्रान जब छूटे
जो कारिक्रियम के आयूज़ग हैं सम्मानी हमारे
स्री महसिंगी ठाकुर साहब
इनकी ओर से इस संगीत का आगर करते हुए
कलाकारों का सम्मान करते हुए
दो सोंच्यावन डूपटी का प्रोषकार फिला है धन्वाद
फरी सभां में लाज़ उतारि
फरी सभां में लाज़ उतारि
धाना
अजब लिखी एक कदीने
दादा अज़वोल भी आदवी
ये 211 रुपे का प्रस्तार
चंद्रिशिंग और रन्पिरशिर्षिः
दोनों की ओर्से हैं
ये रोला कड़ी है
दोनों की ओर्से हैं
इसकी तमारे भरत की संस्कृति हैं इसका समान करते हुए
211 रुपे का अशिर्वाद मिला है गर्वाद
धाता कैसील की तगी तीर धाता कैसील की
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