वरक वही था मगर दूसरे परत चाही
कि मैंने उसके महापत से मंफ़त चाही
वरक वही था मगर दूसरे परत चाही
कि मैंने उसके महापत से मंफ़त चाही
मजा जब था महापत भर लड़ाई में में किछेर कर
उसे फारी मुझाहिम तर चाही
कि मैंने उसकी महापत से मंफ़त चाही
बिछडते वक्त उसे मुड़के भी नहीं देखा
तमाम उम्र जुदाई में आफियत चाही
कि मैंने उसकी महापत से मंफ़त चाही
बस एक बार मुझे खोल कर पढ़ा मुकेश
फिर उसने मेरी महापत
माजरत चाही
कि मैंने उसकी महापत से मंफ़त चाही
अजा जब था महापत भरी लड़ाई में
ऐ छेड कर उसे फ़ोरी मुझाहिम तर चाही
कि मैंने उसकी महापत से मंफ़त चाही
बच्छनते वाकत उसे
मुड के भी नहीं देखा
तमाम उम्र जुदाई में
आफियत चाही
कि मैंने उसकी मुहबत से
ममफ़ात चाही