तेरे खाबों के रस्तों में कई आदि आएगी।
उड़ेगी धूल जो कदमों से, तुझे वो पास ले जाएगी।
अपरी जो मनजल है, तेरी हर जीत की रुखनाम तुझको नहीं, खोलेगा तु हर डोर नहीं।
पादर से आगे दूर कई, दूर उड़ जाएगी।
रुखनाम तुझको नहीं, खोलेगा तु हर डोर नहीं।
पादर से आगे दूर कई, दूर उड़ जाएगी।
पादर से आगे दूर कई, दूर उड़ जाएगी।
जो जाले आग तेरे अंदर सीने में है, उसको तो तु अब बुझा दे।
बड़े जातु अब काटो कुझलाके, तेरे आगे हैं विशारे।
अनगा तु सुनलेयू, रुखनाम तुझको नहीं, खोलेगा तु हर डोर नहीं।
पादर से आगे दूर कई, दूर उड़ जाएगी।
पादर से आगे दूर कई, दूर उड़ जाएगी।
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