उम्मीद क्या हो गीत की जब तूट जाएं स्तार
मुर्छाये हुए दिल में रहे इसलिए पफार
मुर्छाये हुए दिल में रहे इसलिए पफार
इस प्रेम भरे ताजत कैसा ये राग है
मौतम है सुहाना गुल्शन है दिवाना
खंडी हवा में आज क्यों बहते ये आग है
आहू से दिल्ली के थाज को सुलझा जखा हू मैं
आहू से दिल्ली के थाज को सुलझा जखा हू मैं
आहू से दिल्ली के थाज को सुलझा जखा हू मैं
इन दो से अपने खाब को पहला रखा हूँ मैं
इन दो से अपने खाब को पहला रखा हूँ मैं
अच्छा नहीं है आगो को यू दिल में छुपाना
क्यूं होते अश्कबार आयेबी फिर बहार
रोने के बाद हन्ने का आता है जमाना
रोने के बाद हन्ने का आता है जमाना
रोने में मजा ले रहे हैं ॐश्वू और ेर्मान।
ॐश्वू ॐयू मिहमान।
Satsang with Mooji
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