जन गुजारशों के बोच तले गुम्शुदा हूँ इसका दर्ब
लगी उलफ़त की नजर
देख सके वो कभी दे इजाज़त तो मिल सके उनसे नजर
ये फर्याद बे असर
प्रेक्टर
आखो कभी जहराए गम मेरी नजर से
या कर दे रहा हमें दिल की शिकस से
सरे आम हुआ निलाम मेरा ख्वाबे लशकर
लगी उलफत की नजर
भूबे गुरवां दूजे वतन
जब से आखो कभी जहराए गम मेरी नजर
अक्त ले बदले गिन गिन हम से
बेखबर किसमतों की एसासिशों से
अक्त ले बदले गिन गिन हम से
जन गुजारशों के बोच तले गुम शुदा हूँ इस कदर
ये फर्याद पे असर