बोली बोली छठी मयाकी
बिल्किपाई राज्जिन बापू
याईब नई हदावा सड्नोये सज़ानावा
गितिया गाईब करब छठे के पुजानावा
पुछिया भरी
कि हरी हरी उखिया लेले
आई हा जाई के बच्चरि आई हा हरी
कि हरी हरी उखिया लेले
आई हा जाई के बच्चरि आई हा हरी
ससु ससुर के याड़ार भाईले
हमा जाई जाके नाई हर से छठके
बरतीले
उठाई
ससु ससुर के याड़ार भाईले
हमा जाई जाके नाई हर से छठके
बरतीले
उखिया लेले
आई हा जाई के बच्चरि आई हा
उखिया लेले
कि हरी उखिया लेले
आई हाँ जाई के बाँ जड़िया ये हाँडी
आई हाँ जाई के बाँ जड़िया ये हाँडी
आई हाँ जाई के बाँ जड़िया ये हाँडी
न पंखो जो पिया तु परि हना देरि धुख हा परभ हम आई हाँ सबेरि
न पंखो जो पिया तु परि हना देरि धुख हा परभ हम आई हाँ सबेरि
न पंखो जो पिया तु परि हना देरि धुख हा परभ हम आई हाँ सबेरि
याइ नाई हरवा नाई सज़नवा गुतिया गाईब कर छठे के पुजनवा
पुष्या भरी
कि हरि हरि उखिया ले ले आई आजाई के बाजरिया ये हरि