तुम ही मेरे मंदिल
गाईए
सब्भाव से बेठे रहना
थोड़ा गर्मी लगे तो भी सहते रहना
तुम ही मेरी पूजा
तुम ही देवता
तुम ही देवता
तुम ही राम मेरे कनहिया तुम ही हो
जीवन की नईया के खेवैया तुम ही हो
तुम ही राम मेरे
सब लोग आओ मेरे साथ बोलो
कनहिया
जीवन की नईया के खेवैया तुम ही हो
कनहिया के खेवैया तुम ही हो
जिधर देखता हूँ
जिधर देखता हूँ
जिधर देखता हूँ
जिधर देखता हूँ
जीदर देखता हूँ
जीदर देखता हूँ
जीदर देखता हूँ
जीदर देखता हूँ
कि आधे सबसे सरभीला चेला है तेशा यह बाबा यह दर्मों देखो देख तेरे गीत गाते गीतों की माला के रचया तुम
भी हो जीवन की नई आखिर के वैया तुम ही हो आप गाई और मैं सुनूं तुम ही मेरे मंदिल तुम ही मेरी पूजा तुम ही देवता हो
तुम ही देवता हो
तुम ही मेरे
गाओ गाओ
बहुत अच्छा
गाया तो अच्छा है
सिर्फ दस लोगों ने गाया है
बाकी सब बैठें कि गाई बना तुम करो चाहे जो कुछ है
थोड़ा सायो करो
काई ये बहुत अनंदा जाएगा
तुम ही मेरे मंदिल
तुम ही मेरी पूजा
तुम ही देवता हो
तुम ही राम मेरे कनहया तुम ही हो
जीमं की रोचीश्रा के पासीरोरा एपरस्ट मेरी पूजा यद्या जेवा मेरी रोखे।
कि नई या कि के वह या तुम ही तुम ही राम में हुआ है कि नई या तुम ही बहुत शुंदर पास हो गया अब महिलाएं
गाएंगी तम सुनोगे तब तुलना करूँगा कौन फश्ट देखना ये कितना शुन्दर गाती है गाईए
सब महिलाएं अपनी अपनी धोती समाल रहे हैं महिलाएं कभी कुछ होगा तो धोती
संभाल लेती है, और जिनके पास धोती नहीं वो क्या संभाल लेती है, तो वो अपने बाल संभाल लेती है,
खोपडी की बाल मोपर लटकते रहते हैं, तो फिर सिर पे कर देती है, मैलाएं गाएं, तुम ही मेरे मंदिर,
तुम ही मेरी भूजा, तुम ही देवता हो, तुम ही मेरे, जोर से गाओ, सर्माओ मत,
शब पुरुष सर्विंदा हो गई,
कितना अच्छा स्वर है, और ये भी सोच रहे हैं पुरुष लोग,
कि जितना मीठा यहां गा रही है, ऐसा मीठा घर में भी बोलें, तो सर्ग हो जाएं,
पर ये आज से बोलेंगे, अभी तक तो थोड़ा समझ नहीं थी, अब बोलेंगे मीठा,
फिर से एक बार महिलाएं और काएं,
बहुत बहुत धन्यवाद, महिलाओं को प्रधम अस्थान मिला, और पुरुषों को धर्ड अस्थान मिला,
पुरुष फिर भी खुस है, फेल हो जाएं, तो ठीक है कोई आई,
क्योंकि ये सोचते, आखिर हैं तो मेरी ही पत्निया, ये फश तहीं हैं, नंबर तो हमरी नहीं हुई हो रही है,
लेकिन इनका गला इतना अच्छा क्यों, इतना दमदार क्यों है?
तुम्हार गला इतना कमजोर क्यों है?
कारण क्या है?
कारण इसका मैं जानता हूँ
पुरसों की रोटी में जितना घी लगा दे महिलाएं
उतना ही बेचारे खाने को पाते हैं
लेकिन इनके लिए घी का डब्बा खुला रहता है
अब दोनों मिलकर गाएंगे साथ में
तुम ही मेरे मंदिर तुम ही मेरी पूजा
तुम ही देवता हो तुम ही मेरे मंदिर
तुम ही मेरे मंदिर