जब से
जब से गई हो छोड़के दिल मेरा तुम तोड़के
तुम महल की राणी हो मेरी दुनिया उजड़ी है
हमारी रोकर गुझरी है
किस पर अब
एतबार करूँ समझ नहीं आता है
जो मिलता है
जूट्छा सपना हमको तो दिखाता है
लगी ठोकर कितना भी मुझे को मेरी आदत न सुधरी है
लगी ठोकर कितना भी मुझे को मेरी आदत न सुधरी है
तुम्हारी सोकर गुझरी है हमारी रोकर गुझरी है
कैसे कैसे लोग मिले
मतलब के इस जमाने में बीट गई
उमर ये मेरी सब को आज माने में
कैसे कैसे लोग मिले
मतलब के इस जमाने में
बीट गई
उमर ये मेरी सब को आज माने में
मैं तोस् किसी को क्या दूँ जिंदगी बनि मुझ्री है
हमारी रोकर गुझरी है