तुम जहां हो वहाँ क्या ये मोसम नहींक्या नजारे वहाँ मुस्तुराते नहींक्या वहाँ ये घटाएं बरसती नहींक्या कभी हम तुम्हें याद आते नहींतुम जहां हो वहाँ क्या ये मोसम नहींक्या नजारे वहाँ मुस्तुराते नहींये जमाना हमेशा का बेदर्द हैदर्द दिल पे कोई हात धरता नहींदिल की फितरत कभी एक रहती नहींजिंदगी भर वफा कोई करता नहींफिर भी जैसे भुलाया है तुमने हमेंफिर भी जैसे भुलाया है तुमने हमेंइस तरा भी किसी को भुलाते नहींतुम जहाँ हो वहाँ चा ये मौसम नहींचा नजारे वहाँ मुश्किलाते नहींदर्द है मेरे दिल का मेरे गीत मेंगीत गाता हूं मैं तुम मुझे साथदर्द है मेरे दिल का मेरे गीत मेंजो गुजारे थे हमने महोबत दिन क्या वो दिन अब तुहे याद आते नहींतुम जहां हो वहाँ क्या ये मौसम नहीं क्या नजारे वहाँ मुश्किराते नहींतुम जहां हो वहाँ क्या ये मौसम नहींक्या ये मौसम नहीं