खिड़की पे बैठा हूँ तेरे इंतजार में
तेरी वो हसी अब भी है मेरे संसार में
तेरा नाम लिया तो आँखें भीग गईं
तेरे जाने की आहट अभी इस प्यार में
कूथा अब बस
याद है
हर बात में तू,
हर रात में तू
उजमें आज भी जिन्दा है तू
पर हक नहीं है अब तुझसे
कहने का
कितनी बार लिख कर मिटाया तुझे कागज भी ठक गया
होगा मेरे साथ
तू कहता था
हमेशा रहूँगा अब वो लव्ज भी लगते हैं सिर्फ एक बाद
तू था अब बस याद है
हर ख़ौब में तू हर सांस में तू छोटे छोटे लमखों में
आज भी तू
पर पास आने की गुजारिश नहीं कर सकता
अगर तूझे पता चले
मैं आज भी तुझी में हूँ
क्या तू पल भर को रूकेगा