एक कोना तुझ में मैं भी हूँ
अन्दाज से कुछ मैं तुझसा हूँ
तेरी दूप से मैं यूँ अजला हूँ
तेरे साए में फिर क्यों जुलसा हूँ
ऐसा डर क्यों मेरे दिल में बैठा है
जैसे मुझ में मेरा बाखी कुछ नहीं
तुझसा हूँ
पर मैं तुझ नहीं
है पताए मेरा परदे बीज तेरी
है पहचा मेरी पर है नाम तेरा
हर नब्स से तुझ है वाकिफ मेरी
फिर बड़ क्यों ना पाए तुमन मेरा
तुझसा हूँ
पर मैं तुझ नहीं
तुझसा हूँ पर मैं तुझ नहीं
क्या खुद मैं हूँ
कुछ कम कहीं
तुझसा हूँ
पर मैं तुझ नहीं
तेरे मैं के हुए आंगनों में पूल की तरह
मुस्कुराहटों पे खिले नूर की तरह
तेरे लब्जव में घूली हुई सी गूंज की तरह तेरा हूँ
पर तु नहीं
तुझसा हूँ
पर मैं तु नहीं
तुझसा हूँ
पर मैं तु नहीं