समक्यों करता मान ज़्वानी का
समक्यों करता मान ज़्वानी का
समक्यों करता मान ज़्वानी का
ये रौनक सारी दो दिन की
जीवन फुलवारी दो दिन की
क्यों करता तेरा मेरा है
दुनिया है नाम सहानी का
एक बुल खुला पानी का
क्यों करता मान ज़्वानी का
एक बुल खुला पानी का
ये दूत ज़्वानी रंग रहे
सता कोई भी तेरे तंग रहे
जो देख रहा है सपना है
कोई ना तेरा अपना है
दुनिया है नाम सहानी का
एक बुल खुला पानी का
क्यों करता मान ज़्वानी का
एक बुल खुला पानी का