चलिए बाजा बाबा गजानन महराज के छड़ों में चंद पंक्ती
गजानन अम्भूते गणा दिसे वितम
कापित जंबुफल चारुभा छड़
ओमा सुतम सोकु बिना सिकारिकम
नमामि भिगुने स्वर्पा दुपंक जण
एक बार माता पारवती बाबा गजानन महराज से कहती है बिटा
तो ने पापा विदा
वरे नसावाज रे नसावाज
रे नसावाज रे नसाबा हज है
डोरे वाक़ वरे नसावाज रे थे लुट मौरे नसाबा दिय।
तो रे पापा ले नसावाज
तो रे पापा वड़े नसावाज रे
तो रे पापा वड़े नसावाज रे
तो रे पापा वड़े नसावाज रे
तो रे पापा वड़े नसावाज रे
भस्मि तन पे वो काहे लगाते हैं वो
भस्मि तन पे ये काहे लगाते हैं वो
नाग काला गले में लिपटाते हैं वो
और बिटा सबसे बड़ी परेशानी यह है
लगत निंदी जाओ
लगत निंदी जाओ
जगाओ
के हार जात रे तो रे बापा बड़े नसावाज रे
तो रे बापा बड़े नसावाज रे
तो रे बापा बड़े नसावाज रे
तो रे बापा बड़े नसावाज रे
तो रे बापा बड़े नसावाज रे
तो रे बापा बड़े नसावाज रे
तो रे बापा बड़े नसावाज रे
तो पीते हैं ध्यानों लगाने को
और बेटा
छोड़ अमरतों
छोड़ अमरतों
छोड़ अमरत बिस भी पी जात रे
तो रे बापा बड़े नसावाज रे
तो रे बापा बड़े नसावाज रे
तो रे बापा बड़े नसावाज रे
तो रे पापा बड़े नसावाज रे
नसावाज रे
नसावाज रे
तो रे पापा बड़े नसावाज रे
तो रे पापा बड़े नसावाज रे
तो रे पापा बड़े नसावाज रे
गहाटू भंग गया
गोंट भंगी गया मैं तो हर जात तो रे पापा वड़े नसावाज तो रे पापा वड़े नसावाज
पापा वड़े नसावाज
Đang Cập Nhật
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