पिरत के डोरी मजन भसाते संगीरे
एसंगीरे
पिरत के डोरी मजन भसाते संगीरे तोर मुर्मयाला जन भुलाबे संगीरे
पिरत के डोरी मजन भसाते संगीरे
एसंगीरे संगीरे एसंगीरे
आमन मामोर ऐसे बसे है जैसे बनके मोर
गाथा नोरिक चंदा के जैसे तोर मोर बनद ना हो
दिन तो कते ना
रतिहा रिखे तोर सूरतिया
रतिहा होगे अन्जोर तोर मुर्मयाला जन भुलाबे संगीरे
पीरत के डोरी मजन भसाते संगीरे
संगीरे एसंगीरे
संगीरे एसंगीरे
बदना के डोर बन्धागे जीतोर सूरतमार दी आगे
आबे अजोर तैहा बनके ना,
सोच के जीहरी आगे
मन्ये सोच मुस्काई नाव तोरे गुन्गुनाई
तन मा उठती हे खिलो तन मा उठत़े हे खिलो
तोर मुर्मयल जन भुलाबे संगीरे पिर्त के डोरी मा जन पहसातें संगिरे
संगीरे