पाऊं में पयल नहीं मत्ते पी है बिंदीया
कोल दिखा दूगी में डिजिटल इंडिया
पाऊं में पयल नहीं मत्ते पी है बिंदीया कोल दिखा दूगी में डिजिटल इंडिया
किसकों है हिमत चाप देगा मेरी चपोणी
चाहे ठाकुर चाहे या हीर तो हर गई करियें वाबूमी
हाँवने समार के ना दुनिया में जोड़ा बाद
लूट जाई गोहरी तो हरे सोने के कांडो डाबाद
अच्छा चिकी चमिल मेरे चिकनी कमरीया
सरसर जर के है चुटकी गंधरीया
की
जोबना के साइज हमरे रूपबा सजावेला
बाबा सर्णवेला
चाहे हसीनाई मिजाज गर्वाडावेला
राहूल देलियेद मेरा ओपन है माइड
बापा ज़्यावाने मेरी डाइनामाइड
की बचात वहियां चाती वो ठावा के चटनी
चाहे ताक्पुर चाहे यही लीर तो हर गई
करीये बाबूनी