Nhạc sĩ: Radha Choudhary
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सुरोताओं बात महाभारत से और मौकावि द्रौप्ती चीर हरन कर
जब वो दुशाशन द्रियोधन के कहने से द्रौप्ती के चीर की तरफ हाथ बढ़ाता है
तो वो द्रौप्ती एक बात के द्वारा क्या कहने लगती है
आईए सुनवाते हैं राधा चौधरी से
अरे में पति वरता वीर दोष्टे मते
ओ गात के हाथ लगावे कती जल जावेगा
फेर पछतावेगा मिले नहीं दीर बन्धावा
में पति वरता वीर दोष्टे मते
आईए सुनवाते हैं राधा चौधरी से
लगावे सती जल जावेगा बेल पच्टावेगा मिले नहीं भीर पढ़ा
तोड़ दई मरियादाज क्यों सब हमें वीर बुलाई
दागा भी समझरोने गुरु क्यों नीचे नाड जुकाई
धागा भी समझरोने गुरु क्यों नीचे नाड जुकाई
तदगा भी समझरोने गुरु क्यों नीचे नाड धखाई
सादी समे ग्रोणे गुरू क्यों नीचे नाड ढुकाई
तुम्हें सरम ना आई आजिये
या नई रीत चलावे फेर बच्चतावेगा
बड़ी जल जावेगा
मिले नहीं धीर बढ़ावा
बड़े बड़े महर की सम्ह में
बैठे मुझ मरो रहे
बेसरमाई की हद होली ना
हया सरम तारे दो रहे
बढ़ गया घड़ा पाप का खो रहे
अतना सीस बढ़ावे खती जल जावेगा
फेर पच्चतावेगा
मिले नहीं धीर बढ़ावा
बैठेमूर, बहुत भड़ी दोरग गाओं तो, भी वही नहीं रहना इतना सरक्षत आंडला लोग्य सबर तक मैं बचा या कन revers
नेवनास की मत जाओ मैं देखां ना क्योंकि मट रहे रहे जाओं'
पीछे बचता ना हो जागा
मारा जबे मौते खतम तेरा ठोरे ठिका ना हो जागा
जबरी उलहाना हो जागा मैंने
जबरी उलहाना हो जागा मैंने
मतता चांग दिखावे कती चल जावेगा
पेर कचता वेगा मिले नहीं धीर बंधावा
जेठु बहु का भरच भूल के क्या कर दे अन्याई
राण कमजली तेरी ओ धन कन
पाँच पतन की बहुत भूल के क्या कर दे अन्याई
राण कमजली तेरी ओ धन कन
पाँच पतन की बहुत भूल के क्या कर दे अन्याई
राण कमजली तेरी ओ धन कन
पाँच पतन की बहुत भूल के क्या कर दे अन्याई
राण कमजली तेरी ओ धन कन
छाजे रुगा मे बतावे कती चल जावेगा
भेर पच्चावेगा मिले नहीं भीर बनावा
में पति मरता भीरे दूस्त मत काथ के हाथ लगावे तती जल जावी जल जावी
भेर पच्चावेगा मिले नहीं भीर बनावा
मिले नहीं भीर बनावा