तू मेरी रग रग में ऐसे रचा तन और ये मंधिया तुझको शिवाजीतेगा ना कोई मेरा जिया मेरा ये दिल हुआ तेरा शिवाआ....पिज्ली की तरह तू तने बसा, कैसे समाया तू मुझ में शिवा, चाहत मुहाबर का ये ससिला, चलता रहे ला तेरे संसिला.शिवा....शिवा....शिवा....शिवा....शिवा....शिवा....