गर्मा बाईबाई छोटी सी बच्ची उसके घर में बाबा शाम विराजमान थेउसके बाबा रोज शाम बाबा की पूजा करते उनको भोग लगातेएक बार बाबा को बाहर गाउं जाना पड़ गयाऔर कह दिया कि कर्मा जो कुछ भी बनाएपहले बाबा ने जिमाईये और पाचें खुद खाईयेउस दिन कर्मा बाई ने बनाया बाजरे का खीचड़ाथाली में लगाकर एक कटोरी घी उसमें डालाबाबा के सामने रखाकिस तरीके से बाबा को जिमाने के लिए प्रार्थना कर रही हैथाली भरके लियाईर कीचलोउपर घी की बाठकीजिमावे बेटी जाटकीथाली भरजिमावे बेटी जाटकीजिमावे बेटी जाटकीथाली भरके लियाईर कीचलोथाली भरके लियाईर कीचलोजो ऊपर घी की बाट कीमुमारा शाम जनीमावै बेटे जाट कीकर्मा भाई बोलीबाबादेख कोई भूल चुक हो जाएतो माफ कर दीजोक्योंकितुझे जो रोज भोग लगाता थाआज मुझे दूसरे गाउं गया हूँकर्मा भाई बोलीबाबो तुझे गाम गयो हैना जाने कद आवेलोबाबो तुझे गाम गयो हैना जाने कद आवेलोखूं के भरो से बैट रहो तोभूको ही रह जावेलोकाफी देर हो गई जब थाली रखे हुएकर्मा भाई तो छोटी सी बच्ची है उसे क्या पता भोग क्या से लगता हैउसे तो ये पता है कि अगर थाली में से एक गस्सा भी खाया जाएगातो थोड़ी सी तो मात्रा कम होगी नकुछ खाया ही नहींकहने लगी बाबा देख हो सकता है तुझे बाजरे का खिचड़ा पसंद ना होलेकिन आज तो यही बना है आज तो यही खा दोबाबा को लालश दे रही है कह रही हैआज जिमाओं तनर कीचड़ोआज जिमाओं तनर कीचड़ोकालिरा बडी छालजी मुमारा शाम दनी जी मावे बेटी जाटकीथाली बर केलिया इर कीचडो उपर घी बाटकीजी मुमारा शाम दनी जी मावे बेटी जाटकीकर्म बाई बोलीमहारा कानूला गिरधारी घी चड़का ले रे बनवारीघी चड़का ले रे बनवारीवर्मा पिरती कर करहाबेटी जाटारीकहने लगीबाबा जाते जाते मुझसे कह गया थाबेटी तड़के उठके नहींवरा किरधर ने नूझेपूचा करके वो गिल गईबेटी जाटारीबेटी जाटारीबेटी जाटारीमीथे पाणी सूने लानोबेटी पाणी सूने लानोबेटी जातारीबेटी जातारीबेटी जातारीबेटी जातारीबेटी जातारीबेटी जातारीबेटी जातारीजिमावे बेटी जाटकी थाड़ी भर के लिया इर खीचडो उपर घी की बाटकीजिमावे बेटी जाटकी थाड़ी भर के लिया इर खीचडो उपर घी की बाटकीजिमावे बेटी जाटकी थाड़ी भर के लिया इर खीचडो उपर घी की बाटकीमो मारा शाम दनी जिमावे बेटी जाटकी थाड़ी भर के लिया इर खीचडो उपर घी की बाटकीजिमावे बेटी जाटकी थाड़ी भर के लिया इर खीचडो उपर घी की बाटकीबेटे जाटे की जे बावै बेटी जाटे की