Nhạc sĩ: Iqbal Bano
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अब आपको दाग की गजल सुनाओ
तेरे वादे को बुते की लजू
तेरे वादे को बुते की लजू
तेरे वादे को बुते की लजू
ना करार है ना पयाम है
तेरे वादे को बुते की लजू
ना करार है ना पयाम है
कभी शाम है
तेरे वादे को बुते की लजू
कभी सुब हो है कभी शाम है
कभी सुब हो है कभी शाम है
तेरे वारे को भूल भी लाजो
कभी देख तो सर रहा गुजर
के तडबते कितने हैं हाथ पर
ना चले सी चाल तो फितना गर
ना चले सी चाल तो फितना गर
ना चले सी चाल तो फितना गर
कोई ये भी तरजे फराम है
तिरे वाद को भी भी ना दू
वो सितम से हाथ
वो सितम से हाथ उठाए क्यों
वो किसी का दिल ना दुखाए क्यों
कोई इस दिल ना दुखाए क्यों
कोई इस में मर ही ना जाए क्यों
कोई इस में मर ही ना जाए क्यों
उसे अपने काम से काम है
तिरे वाद को भी भी ना दू
कोई इस में मर ही ना दू
कोई इस में मर ही ना दू
कोई इस में मर ही ना दू
कोई इस में मर ही ना दू
कोई इस में मर ही ना दू
कोई इस में ना दू
कोई इस में मर ही ना दू
कोई इस में मर ही ना दू
तिरे वाद को भूँते भी ना दू
ना करार है ना कयाम है