मेरे कैसा अपती मिले ना
मैं तेरे प्रेम में मरी बड़ी मन
मैं तेरे प्रेम में मरी बड़ी मन
लाग इश्क जञजीर लिये
मेरे कैसी बहू मिले ना ढूंड जगत के बिर लिये
मैं तेरे प्रेम मैं मरी पड़ी मन लाग इश्क जंजीर दिये
मेरे कैसी बहु मिले ना ढूंड जगत की बीर लिये
पड़ती उनकनिया के मैं सामन की जड़िया के मैं
खुलगी मेरी नीन सवेरे आया जब सपने के मैं
हुए नज़दीक ते जितना दूर ते ख्याल राखती
सपन्या मैं जानते पहला मेरा तु ख्याल आगरी
जाऊंगी शाम के मंदिर करके मुलाकात ते रहते
मननत मांगी दी मनने हुए मुलाकात ते रहते
जिन्दगी मेरी जननत होगी करके मुलाकात ते रहते
तेरे ये हुन्दे आमें कावी पर भाव मेरे बै
मेरे कैसा पती मिले ना भुश्याने बुज़ वकीर लिये
रोम रोम मैं तू बश किये चाये कड़ जा चीर लिये
मैं तेरे प्रेम मैं मरी पड़ी मन लाग इश्क जंजीर दिये
मेरे कैसी बहु मिले ना ढूंड जगत की बीर लिये