चड़ती है कई शाम ध्वजा पर सुरज गड़ जैसी नहीं
चड़ती है कई शाम ध्वजा पर सुरज गड़ जैसी नहीं
सुरज गड़ जैसी नहीं
सुरज गड़ जैसी नहीं
चड़ती है कई शाम ध्वजा पर सुरज गड़ जैसी नहीं
चड़ती है कई शाम ध्वजा पर सुरज गड़ जैसी नहीं
मुर्चडी को लेकर सारे जूमते और नाचते
फटकारे फटकारे लगते बहुत पर सुरजगड जैसे नहीं
जिस गली से गुजरे ये तो शोर होता शाम का
जैकारे जैकारे लगते बहुत पर सुरजगड जैसे नहीं
सुरजगड जैसे नहीं
जैकारे लगते बहुत पर सुरजगड जैसे नहीं
जाते हैं ये पैदल खाटू
वापस पैदल आते हैं
लाखों देखी यातिरा पर सुरजगड जैसे नहीं
लाखों देखी यातिरा पर सुरजगड जैसे नहीं
शाम कृपा से सवल इराम जी का तब बल इसमें रहता है
शाम कृपा से सवल इराम जी का तब बल इसमें रहता है
देखी सब की सकलाई पर सुरजगड जैसी नहीं
देखे है इस शामने बाबा घाटी पे पर चेतरे
लाखो होते चमतकार पर सुरजगड जैसे नहीं
लाखो होते चमतकार पर
सुरजगड जैसे नहीं
सूरज गड़ जैसी नही चढ़ती है चढ़ती है चढ़ती है कई शाम ध्वजा पर
सूरज गड़ जैसी नही चढ़ती है कई शाम ध्वजा पर
सूरज गड़ जैसी नही
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