बंजर बंजर आँखों में एक आधाप है अब खाब नहीं
बाँज पढ़े इस सीने में तेरी अब कोई आद नहीं
बंजर बंजर आँखों में एक आधाप है अब खाब नहीं
बाँज पढ़े इस सीने में तेरी अब कोई आद नहीं
चारों जानब अब सहरा है दिल भी ये कितना प्यासा है
लब पे कोई फरियाद नहीं तेरी अब कोई आद नहीं
तेरी अब कोई आद नहीं
तेरी अब कोई आद नेंग
तेरी अब कोई आ द नहीं
नहीं
कितना कुछ कहना था तुमसे
कितना कुछ कहना बाकी है
फोटों पे रखी खामूशी
कितना कुछ कहना चाहती है
क्या तू सुने
दिल के गिले
रूठा साहे,
तूटा साहे,
दिल का शहर सूना है पर इतना भी बरबाद नहीं
तेरी अब कोई याद नहीं
खाँच से माज़ुक रिश्टों को कब कोई ऐसे तोड़ता है
जिन से दिल को जोड नहों उन से भी कोई मूँ मोडता है
दो कदम की दूरी ही लिखी थी अपने किस्से में
तुमने कितनी देर लगा दी दो लवसों को कहने में
एक जखम समाल के रखा है दिल तनहा था दिल तनहा है
हाँ सच है के आबाद नहीं तेरी अब कोई याद नहीं
तेरी अब कोई याद नहीं
तेरी अब कोई याद नहीं