ताँग तरी विच अख पत्रा गई । मुर्ताँ ताँग देया ।आखिर मन विच मुझ समा गई । मुर्ताँ ताँग देया ।ताँग तरी विच अख पत्रा गई । मुर्ताँ ताँग देया ।बाहर कली विच खिरती होई पागल तेज हवा ।बाहर कली विच खिरती होई पागल तेज हवा ।दिलु देता रे । ताँग लाहा गई ।मुर्ताँ ताँग देया ।मुर्ताँ ताँग देया ।आप तरे ताँग ।उन्हें तरे निद्र है मैरी अपणी ।खाब तरे ताँग ।उन्हें तरे निद्र है मैरी अपणी ।बत ही कसी ने भाँ भर का गई ।उन ताँग देया ।मुर्ताँ ताँग देया ।।अलदी शाम।तु पहले तैदा वलन दा वादा ।।अलदी शाम।।तु पहले तैदा वलन दा वादा ।।राती गिर दी ।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।ਕੋਨ ਬੁਵਾ ਦੇ ਅੱਨ ਤਾ ਸਾਵਰੇਆਆਖਿਰ ਮੰਨ ਵਿਚ ਮੂਝ ਸਮਾ ਗੈਯ ।आखिर मन विच मूझ समा गई, मुनता सावध्या, ताँग तली विच अख पत्रा गई, मुनता सावध्या.आखिर मन विच मूझ समा गई, मुनता सावध्या, ताँग तली विच अख पत्रा गई, मुनता सावध्या.