तल नतकेगा अरे विधाता तेरा लिखा विधान
महलों की महरानी बन को करती है प्रस्थान
विधाता तेरा तल विधान
दुख में सुख और सुख में दुख है
समय बड़ा बलवा
कल क्या था
और कल क्या होगा कोई नतका पहचा
लिखा भागने अक्वन जल से नादी का आख्यान
विधाता तेरा तल विधान
दुख के पूज़े में ग्रहओध केलोकी saw chair के बाद रुबक गफर का पबच्चुक रिपोर्शन प्रकाठी बुब करते है सुरकुल कीरती अमर होजाई पूरी करने आत
MP4 दोगी के कहने पर होता जी टाक को बनवार � altre वकाउर
पीलो छूटा पढ़ता है वरदान विधाता तेरा अटल विधान
चली जा रही है रगुरानी अंश लिये रगुवंश का
रगुराजा के मन में कहते शन आया विधान का
इतनारी को देख चकित है सारे वेद पुरान
विधाता तेरा अटल विधान
विधाता तेरा
अटल विधान
चल न सकेगा अरे विधाता तेरा लिखा विधान
महलों की महरानी बन को करती है प्रस्थान
विधाता तेरा अटल विधान
विधाता तेरा अटल विधान