आथी रात शिखर मैं डलगे मैं बैठी टेम बिता दियूँगी
मत नाले रेना मैं जाने का मैं सुत्या गाँ में जंगी
आथी रात शिखर मैं डलगे मैं बैठी टेम बिता दियूँगी
मत नाले रेना मैं जाने का मैं सुत्या गाँ में जंगी
फिर दस दिन होगे लगी चांदनी मत ना टेम डूबोवे तू
बरदेसी कुछ सोच जणे मत भरी जवानी खोवे तू
बढ़ी कसूती ताब पड़ी बिन जामया दूध बिलोवे तू
करा पड़ी मेरे कमर दूख ती इन हाथा टीकड़े पोवे तू
क्यूँ जूठे ज़र्डे दोवे क्यूँ
जूठे ज़र्डे दोवे क्यूँ मैं हर का नाम रटा दियूँगी
बत ना लेवे नाम जाने का मैं सुत्या गाँ जगाँ
आधी रात शिकरम डल गी मैँबेट्टिटी मग बिता दीूँ
बत ना लेवे नाम जाने का मैं सुत्या गाँ जगाँ दियूँगी
बत ना लेवे नाम जाने का मैं सुत्या गाँ जगाँ डियूँ
है बेदर्दी आसर दी गर्मी मेरी जाने का गाडा हो
साल लागी जा तेरी आवड में पड़ जिगर में ताड़ा हो
इसी का सुती सरदी पढ़ती के में रातने पाड़ा हो
बरती हो के एसुक पाया कर जानने पाड़ा हो
शिरी पाले राम में राने आला
पाले राम में राने आला
मैं जाके नाम कटा दियूँगी
मत नाले वे नाम जाने का
मैं सुत्या गाम जगा दियूँगी
आती रात शिकर मैं डलगी मैं
बैठी ढेम बिता दियूँगी
मत नाले वे नाम जाने का
मैं सुत्या गाम जगा दियूँगी