आज हजारों वर्षों के बाद अनिहास अपने आपको फिर दोहराएगा
इस रणभूमी पे मेरे सामने है मेरे पांच भाई
अब परिडाम जो भी हो मुझे अपना धर्म इस घड़ी में निभाना ही होगा
ये जीवन एक उठ भूमी और मिर्त्यू है चारों ही ओर
और आगे है कौन ना देता दिखाई जब चले तलवारों का जोर
हर जंग का एक विजेता और एक को बिकना है माठी के मोल
है बोस्ता ताब जब लहू में सुनेगा कैसे है वो काथी के बोल
ना सार्थी शाम ना द्रोन सा गुरू और कवच ना होने के बाद भी
है वो है नाम से जिसके कापती धर्दी का भयकाश भी
है बस दिया राना असंबव ना जीत ना जसे आसान
है बने जो धर्म से शत्रू वो भाई मेरे है पांच
सहुंगा नो करू लहू लुहान कटी की जुबान जो चले ख़बार
मैं कर बनाना वान नहाँ रिमात आया साल लेल हड़ा ननन
साउधान हवी है वान हवास याजे सामदाम नन भेजल वाल रिमात
में लगू सर शक्ति शाली आज
प्रयास करू भर सक पास तुम वक्त तो रे बोलियो को तस्चन छोड़ दे
कृणों की जाल अब जलीसा तेज ना सुर आसुर न प्रेम न पेश य।
धर्म का फलक न करब न पंड़व मैं सूर्य पुत्र, मैं सर्वशेष्ट
मैं सर्वशेष्ट, सूर्य पुत्र मैं सर्वशेष्ट
सुई पटक सनाटा तीर जो निकले कमानते रगों में ब्राह्मडों का खून खेलो ना खेल तुम मेरे समान से
बाड़ी में केशव की सिरता अक्रोध में बरश और रामता जो काल से डरे वो करेगा क्या वो योधा बत है नाम का
में गंग कई हर शब्द में बोले यह रन मेरे मन में बोले युद्ध वालतर तन में डोले पर मन में यह बोले बोली का मांच इन ठर्म
लगाव तेज़न घृत Campion सें से इन घृत
रतृषिया
मेरे
को
रतृषिया
रतृषिया not so
वीडा कतार एक रण हूँ कार की ताने एक
तेरी सो विजय पे मेरी हार एक
रोद रूप आकार देख आवार कर दू ललकार देख
बच जाए हाँ आकार देख
हाँ देख
हाँ देख
हाँ देख
देख
इनों की जौला बिल्डी सा तेश
में तुरीय पुत्र में सरवश उश्वेश
में सरवश उश्वेश
सूर्य पुत्र में सरवश उश्वेश
नसूरा सूरा ना प्रेम
में तूरीय पुत्र में सरवश उश्वेश