सूर्यदेव तुम्हें ज़रूर ज़रूर ज़रूर
करते वन्दन सुविकार करो तुम्हें अभिनन्दन
इस संसार के तुम्हें आपमा सब जीवों के हो परमादमा
आपसे ही स्रीष्टी में उजाला तेज आपका बड़ा ही निराला
आई तुम तारण आरे बन तुमसे दुनिया
हुई है योशन
आपसे ही
है रितु ये बदलते
आन जल की होती उतपाते
अपनी गति से जो तुम चनते
दिन महिले ओरे साले बदलते
आई तुम तारण आरे बदलते
आई तुम तारण आरे बदलते
प्रम्भा जी गी कड़ी के भाती
होंगा इकी की उतपाती
होंगा इकी की उतपाती
आई तुम तारण आरे बदलते
तुम तारण आरे बदलते
आई तुम तारण आरे बदलते
आई तुम तारण आरे बदलते
शनितो छाया गर्भ से आई
किन्तु आपनी नापनाई
पिता पूत्र में हुई तनाधने
एक दूझे से नहीं कभी
रूठे दोनों उन्हें मनाया
भोले नेमत भीद मिटाया
ये दोनों उन्हें मनाया
भोले नेमत भीद मिटाया
छिपी थे इसमें जग की भलाई
भोले सब के बने ही तेशी
आपस में दुर भावना कैसी
फिर संग्या देवी भी आई
अपने पिता से गुहार लगाई
देज में दुर भावना कैसी
देज में दुर भावना कैसी
तब तक ये परिकाश घना धू
अन्द्र भाग से गए उतारे
इते दिवे ज्यारे ज्यारे
रिग वेद से बनी धरा है
साम वेद से स्वर्ग बना है
यजुर वेद से बना पाताल है
अन्द्र भाग से लिये लिताल है
अन्द्र भाग से लिये लिताल है
गोले का तिरिशूल बना है
वेश्टो जी का सुदर्शन चत्र
आसुवाने का शंकु भयंपर
बना कुबेर को दे दे पाल की
और शक्ति फिर अगनी देव की
बाकी तेज से बने है शास्त्र
तेज आपका दिया है कम कर
संध्याव देवी पास जो आई
तेज आपका तब से है पाई
मनूप को पूत्र रूप दे पाई
जिसने ले संसार बसाया
आपकी माया अपरमपार है
रोशन तुमसे ही संसार है
रेवे पुराण के बहिवागारे
रेसी भूली गणिशीश जुकाई
आशुतो
रोश तो सुबहाठ करे
जोड के अपनी दोनों ही करे
शत्ः भाव से शीष जुकाई
प्रिपाते तब ही है पाई
प्रिपाते तब ही है पाई
Đang Cập Nhật
Đang Cập Nhật