बुरे काम का बुरा नतीज़ा शास्त्र यही पतलाते हैं
सवर्गणरक की इक चोटी सि काथा तुमे सुनाते हैं
سवर्गणरक की इक चोटी सी काथा तुमे सुनाते हैं
सर्व जगत में इनसा रूपी तीन तरहें के प्राणी हैं
पहले धर्मी दूजे पापी तीजे होते ग्यानी है
स्वर्ग धर्म से नरक पाप से मोक्ष ज्यान से मिलता है
यमलोक में इकिस तरहें के नरकों का चकर चलता है
नरकों का चकर चलता है
इन नरकों में जीव अपने कर्मन उसार ही जाते हैं
स्वर्ग नरककी एक चोटी सी गाथा तुमें सुनाते है।
छित्र भिछित्र दो लेखक जो लिखते सब के थे धर्म और पाप।
धर्मराज के आठ दूत
हैं यमलोक ले जाते आप।
यमलोक ले जाते आप।
यमलोक में जाने के मार्ग पूर 86,000
नदी वैतरनी सब जीवों को करनी होती वहाँ पर पार।
करनी होती वहाँ पर पार।
नदी में तीखे अस्तर शस्तर रक्ड बहाते जाते हैं।
स्वर्ग नरक की एक चोटी सी पावन कथा सुनाते हैं।
बाता तुम्हे सुनाते हैं।
बुरे काम का बुरा नतीज़ा शास्र यही पतलाते हैं।
स्वर्ग नरक की एक चोटी सी गाथा तुम्हे सुनाते हैं।
बापी और धर्मी पुरुष के वैतरणी के मार्ग दो।
दोनों मार्ग उनके तो है ये वैतरणी करे बार जो।
यहां पापीयों और दुस्टों को दिया जाता है कस्ट अपार।
पोटें पेरों के छिनभिन तन कर जाते हैं
स्वर्ख नरक की एक चोटी सी पावन कता सुनाते हैं
आथा तुमें सुनाते हैं
पुरे काम का बुरा नतिजा स्चास्ट्र यही पतलाते हैं
स्वर्क नरक की एक चोटी सी गाथा तुम्हें सुनाते हैं
जो किसी नारी के पती को देता है दोके में डाल
उसको अपनी पत्नी बनाकर हो जाता है स्वयम निहाल
अंधतमिस्त्र नरक में सडता दूत देते आखे पोड
बड़ी बेदना सहनी पड़की कहां बहां से जाएं दोड
मार मार के उस पापी को नरक के बीच किराते हैं
स्वर्ग नरक की यक चोटी सी पावन कता सुनाते हैं
घाता तुम्हें सुनाते हैं
बुरे काम का बुरा नुता चास्र यही बदलाते हैं
स्वर्ग नरक की यक चोटी सी घाता तुम्हें सुनाते हैं
वशू पक्षी आदी जीव को मार के जो भी खाएगा
कुम भी पाक के नरक में हैसा प्राणी डाला जाएगा
कुम भी पाक के नरक में हर दम तेल उबलता रहता है
पापी जीव को उसमें डालें तडब तडब दुख सहता है
तडब तडब दुख सहता है
जितने रोएं पशू के तन पे इतने साल पकाते हैं
स्वर्ग नरक के एक छोटी सी पावन कता सुनाते हैं
बाता तुम्हे सुनाते हैं
बुरे काम का बुरा नतीजा शास्त्र यही बदलाते हैं
स्वर्ग नरक के एक छोटी सी गाथा तुम्हे सुनाते हैं
अपने पिताजी और ब्रामर्स जिसने वेर लदाया है
यम दूतों ने उस पाणी को नार की कहके बुलाया हैं
नार की कहके बुलाया हैं
काल सूत्र के नरक में पिता जहाँ जवाला ददकती है
सूर्य और अगनी की गर्मी तन को जला कर रखती है
पाखंड यहाँ पहलाने वाले कोडे नरक में खाते हैं
स्वर्ग नरक की एक चोटी सी पावन कता सुनाते हैं
गाता तुम्हें सुनाते हैं
बुरे काम का बुरा नतीज़ा शास्त्र यही बतलाते हैं
स्वर्ग नरक की एक चोटी सी गाता तुम्हें सुनाते हैं
जो भी राजा बने अधर्मी नरक धिकारी होता है
शूकर मुख नरक में गिरता सालो सालो रोता है
उसको वही पर गेरते हैं
गाता तुम्हें सुनाते हैं बुरे काम का
बुरा नतीज़ा शास्त्र यही बतलाते हैं
स्वर्ग नरक की एक चोटी सी गाता तुम्हें सुनाते हैं
जिसने भी पर नारी से यहां संबद गलत बनाए हैं
तप्त सूर में नामक नरक में उसने कश्ट उठाए हैं
शमके दूत चिपकाते हैं लोहे की जलती नारी को
कोडों से नित पीता जाता ऐसे व्याभी चारी को
ऐसे व्याभी चारी को
संधश नामक नरक में देखो चोर लुटे रह जाते हैं
स्वर्ग नरक की इक चोटी सी पावं कथा सुनाते हैं घाता
तुम्हें सुनाते हैं
बुरे काम का बुरा नतीज़ा शास्ट्र यही बतलाते हैं
स्वर्ग नरक की एक छोटी सी गाता तुम्हे सुनाते हैं
जब जूट भोलते हैं जो जूटी गवाही देते हैं
चुगली निन्दा करें बुराई मुह पे सफाई देते हैं
मुह पे सफाई देते हैं
यम दूतों के हाथों परवत से गिराया जाता है
अविचीन अर्क में वर्ष हजारों उसे सढाया जाता है
उसे सढाया जाता है
निरदई और क्रूर मानुश दंधशूक नरक में जाते हैं
स्वर्ग नरक की एक चोटी सी पावन कता सुनाते हैं
गाथा तुम्हें सुनाते हैं बुरे काम का
बुरा नतीज़ा शास्त्र यही बतलाते हैं
स्वर्ग नरक की एक चोटी सी गाथा तुम्हें सुनाते हैं
अपने आपको मान धनाद्य जो भी करता है अभिमान धन की चिंता में लगा वो रहता
ऐसा अधम मरे इनसान ऐसा अधम मरे इनसान सूची मूख नरक में गिरता
धन से चिपके रहने के कारण सबी चूट ना पाते हैं
धन से चिपके रहने के कारण सबी चूट ना पाते हैं
स्वर्ग नरक की एक चोटी सी पावन कता सुनाते हैं
गाता तुम्हे सुनाते हैं
बुरे काम का बुरा नतीजा शास्त्र यही बदलाते है
स्वर्ग नरक की एक चोटी सी गाता तुम्हे सुनाते हैं
अपने मात पिता को जिसने यहाँ पे रोजरू लाया है
यमराज के दूतों ने फिर उसे उल्टा लटकाया है
कभी पशूतों, कभी पकेरू, कभी तो सर्प बनाया है
कभी यहां तो, कभी वहां के नरकों बीच गिराया है
स्वर्ग नरक की एक छोटी सी पावन गता सुनाते हैं
शास्त्र यही बतलाते हैं
स्वर्ग नरक की एक छोटी सी गाथा तुम्हे सुनाते हैं
देवत पितर ब्रामण गौल को दीये बिना भोज़ा
यही देश में होता जनम जहां काल से भूखो वो मरता
भ्रमहत्यारे कृतग्न प्राणी जिन पे नरहत्या का पापा
गुरु करन सिंग बतलाते हैं उनके पाप नहोते माँ
कैसे मुक्ति हो पाए अब कमल सिंग बतलाते हैं
का लिए कृपाध के पापे में जोमतिं ऎन आंदे हरि चीनफा,
विश्चारी कंपो भूधिестеल भी जगते हैं
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