शोदा माहराज भीतर गई और जा करके एक कटोरे में माखन मिसरी ले आई
और जो ले करके आई भगवान को वो माखन मिसरी दी तो शोदा की आँखों में आँसू आ गई
यह शोदा ने भगवान कि कालाला आज इक माखन मिसरी खाई ले कल पता नहीं मिले ये ना मिले
अब ज्योत नहीं बचन कहे भगवान बोले मैया का बात है हमने तेरी आंधन में आशू कबहूनाई देखे आज तो यसी राते काई कर रही है
आज तो मैंने बोल रही हो कि आज यही खायल है कल मिला ना मिला कहे बाया कल कौन चले जाएँ
कल क्या हो जाएगा तो उसी समय माराज आज बाबा नंद ने भगवान से का बेटा तुम्हें नहीं पता है कंस के यहां से पक्राया उसे दो डलिया कमल के पुष्प चाहिए और तुम नहीं जानते हो
वह पुष्प केवल केवल काली दैपर मिलते हैं और बाहर रहता है काली नांग जो डर की वजह से वह कुछ जाता नहीं है अगर पुष्प
के जाना बिज़वाएं तो हम सबको मतुरा की जेल में डाल देगा जो इतने बजन कई भगवान ने जवाब दिया बाबा आप जो
इतनी छोटी तमकी से आप दबरा देंगे आपको नहीं पता बाबा आप पत्र में लिख दो जेलों की दमगी अब बाबा आपको नहीं पता
मां मतुराख की जेल में मेरे मैं बाबा वह घतरा की जेल में तो ब्रह्वान ओर लेवर चिंता न करो आप इसे
कंश की दंकियों से घवरा रहते हैं पत्र लिखने की यह अंसॉर्थ यह जेल की दंकियों में न दो है और रही है
तो हम बेजवाएंगे कंस के पास आप चिंता नहीं करो परिशान नहीं हो बाबा भगवान ने यस्वदा को बाबा नंद को समझाया समझाने के बाद भी आज मैया यस्वदा बाबा नंद तो समझ हो गई इधर सवेरा हुआ
हुआ हुआ जब सबेरा होने के बाद में महाराज भगवान ने सारे ग्वाल गालों को खट्टा किया या ग्वाल अब बढ़ाया टिप्पल बहम
कि हम लोगों ने कोई नया खेल नहीं खेल आती कोई नया खेल खेलेंगे मन स्कूल को उस ऊपर नज़र भी
क्या हो तो जब आप पास में दो मोलों कराए हां तो लगे मैं यह सुन व्याद बनाई है
हैं अब क्यों ना अच्छा गेंद का खेल-खेल तो अ कि मग्गान खेलने लगे बड़ी ऑफ को तूने मना है सही बता है चलो गेंद
कोई खेली खेली है तू तक बोलो खैले तो बोले अब क्या से बेहतर नहीं जाएगी बाब गाली आनन्न रहता है तो भाग बोले
दूर खेल लेंगे, पास नहीं जाएंगे, तो लोग बलराम जी आई गए
बलराम जी आई गए
बलराम जी आई गए
बलराम जी आई गए
बलराम जी आई गए
बलराम जी आई गए
बलराम जी आई गए
बलराम जी आई गए
बलराम जी आई गए
बलराम जी आई गए
कई आप कोई नहीं जाएगा घेंद को खेल खेलन जाए थे तो दिल्ली बोले तुम घेंद को खेल के लिए मानते पर संग में
अपने जाए थी रहा तो बघवान बले भाई फिर तुम्हें निवाई तो चले लेकिन तुम हम सब कौलों से पड़े हो तो तुम्हारे
जो खेलवे में सरम लगता रहा था आप अब वर्डम जी सोचने लगे चलो कोई नहीं छोटे बाल लगे साथ नहीं रखते हैं
अब हम सबसे बड़े वर्डम बोले कोई बात नहीं जाना चाहते हो चले जाओ जाओ गेंद को खेल फेले आओ हूं
अब सब ग्वालवाल चले
चल करके
काली देपर पहुँचे
पहुच करके मारा जोख वाली देपर पहुँचे
तो जिदर काली
देखा जल था
उदर बगवान खड़े हो गई
आसपास सारे ग्वालवालों को खड़ा
कर लिया
तब तक दामा ने कनईया से
लेकिन हम तो ये अपनी गेंद देव दीए
लेकिन मेरी एक सर्थ है
बगवान बोले कौन सी सर्थ
तो दामा कहने लगा कि सर्थ ये है
कि अगर जा गेंद दोखे उसे
अगर हमाई खोई गई
तो हम फिर तो पर जा गेंद ले लिये
देव आगे
बगवान बोले तो चिंता ना कर
अगर गेंद खोई गई
तो हम कोई जै गेंद दे दिये
ठीड़ी परिज़वान ना हो
अब डाबा मान नहीं है ये बात
जब बात को माना तो
आज गेंद का खेल प्रारंब वा
और जैसे ही गेंद का खेल प्रारंब हुआ