तुल्ले पुका माताराणि।
रक्ति खया माताराणि।
माताराणि।
तुल्ले पुका माताराणि।
सबकी सुन्ती है तु मन की। पुरी करे इच्छा मा तु सबकी।
माताराणि माताराणि।
तेरे दर पे जो भी आता
मन की
इच्छा वो है पाता
जोली भर के है वो जाता तेरी गाता है वो गाता
नविरात्री में नौ दिन आती
अपने नौ रूप दू है दिखाती
इस
धर्ती से उस अंबर तक सारे जाहा के कश्ट मिठाती
मतरणी मतरणी मतरणी मोतराणी
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